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भूख लत है [कविता]- सुशील स्वतंत्र

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अखबार में छपा था कि

 सुशील कुमार रचनाकार परिचय:-



सुशील कुमार : संक्षिप्त परिचय
जन्म - 1978, झारखण्ड के हजारीबाग में | शिक्षा - समाज सेवा में स्नातकोत्तर । वर्षों से सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्यरत | लम्बे समय तक एच.आई.वी. / एड्स जागरूकता के लिए उच्य जोखिम समूह (यौन कर्मियों, समलैंगिकों व ट्रकर्स) के साथ कार्य का अनुभव | साथ ही साथ जन सरोकार के मुद्दों के साथ सक्रियता से जुड़कर काम करते रहे हैं | वर्तमान में दिल्ली स्थित एन. जी.ओ. कंसल्टेंसी कंपनी गोल्डेन थाट कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ चीफ कंसल्टेंट के रूप में कार्यरत है और कई सामाजिक, सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं (जैसे नाको, यूनिसेफ, वी.वी.गिरी राष्ट्रीय श्रम संस्थान आदि) के साथ प्रशिक्षक, मूल्यांकनकर्ता व सलाहकार के रूप में जुडाव | पता : ए-26/ए, पहली मंजिल, पांडव नगर, मदर डेरी के सामने, दिल्ली-110092 ई-मेल : goldenthoughtconsultants@gmail.com

तुरंत कार्रवाई होगी
उन इलाकों में
जहाँ भूख से हो रहीं हैं मौतें
आगे लिखा था
शिविर लगाया जायेगा
सबकी स्वस्थ्य जाँच होगी
और फ़ूड पैकेट बांटे जाएंगे

एक व्यक्ति का
मरने से पहले लिया गया
बयान भी छपा था
उसने कहा था कि
" पहले भूख मज़बूरी थी साहब
लेकिन अब लत है
और प्राण के साथ ही छूटेगी "

घरों में मिट्टी के बुझे चूल्हों में
राख-ही-राख बाकी है
लेकिन तंत्र बेखबर है कि
भूख जब लत बन जाती है
तब राख से भी जला ली जाती हैं मशालें

सालों तक अखबार छापता रहा
तुरंत कार्रवाई होगी
और जिनको भूख की लत थी
वे जलाते रहे मशालें

अखबार में फिर छपा कि
अब भूख से मौत की खबरें नहीं आती
अलबत्ता देशद्रोही करार दिए गए
और मुतभेड में मारे गए लोगों की
संख्या में भारी इज़ाफा हुआ है

इस प्रकार हो रही है
तुरंत कार्रवाई
और साबित हो रहा है कि
भूख लत है
एक जानलेवा लत

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