उषा प्रियंवदा, चित्रा मुद्गल एवं पद्मश्री डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी को मोर्रिस्विल्ल, अमेरिका में प्रदान किये गए सम्मान

‘ढींगरा फ़ाउण्डेशन-अमेरिका’ ने अमेरिका के मोर्रिस्विल्ल शहर के हिन्दू भवन कल्चरल हॉल में आयोजित एक भव्य समारोह में वर्ष 2014 हेतु ‘ढींगरा फ़ाउण्डेशन-हिन्दी चेतना अंतर्राष्ट्रीय साहित्य सम्मान’ प्रदान किए। समारोह में समग्र साहित्यिक अवदान हेतु उषा प्रियंवदा को, कहानी संग्रह- ‘पेंटिंग अकेली है’ हेतु चित्रा मुद्गल को, उपन्यास-‘हम न मरब’ हेतु डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी को सम्मानित किया गया । सम्मान के अंतर्गत तीनों रचनाकारों को शॉल, श्रीफल, सम्मान पत्र, स्मृति चिह्न, प्रत्येक को पाँच सौ डॉलर (लगभग 31 हज़ार रुपये) की सम्मान राशि, प्रदान की गई।
तीनों रचनाकारों को ढींगरा फाउण्डेशन के अध्यक्ष ओम ढींगरा, हिन्दी प्रचारिणी सभा कैनेडा के संरक्षक श्याम त्रिपाठी, मोर्रिस्विल्ल शहर के मेयर मार्क स्टोलमेन, काउंसलर विक्की जानसन, काउंसलर स्टीफ राव, हिन्दी चेतना की संपादक सुधा ओम ढींगरा ने यह सम्मान प्रदान किये। तीनों सम्मानित रचनाकारों को नार्थ कैरोलाइना के गवर्नर पैट मेकरोरी, मेयर मार्क स्टोलमेन तथा मेम्बर ऑफ कांग्रेस जार्ज होल्डिंग की ओर से भी विशेष रूप से प्रशस्ति पत्र प्रदान किये गए। साहित्यकार पंकज सुबीर को मोर्रिस्विल्ल शहर की ओर से मेयर मार्क स्टोलमेन ने हिन्दी सेवा के लिए सम्मान पत्र प्रदान किया।
इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ अमेरिका तथा भारत के राष्ट्रगान से हुआ तथा कुबी बाबू द्वारा कुचिपुड़ी नृत्य प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी ने कहा कि विदेशों में रह कर हिन्दी की सेवा जो प्रवासी भारतीय कर रहे हैं वह बहुत प्रशंसनीय है। चित्रा मुदगल ने अपने संबोधन में कहा कि हिन्दी को लेकर जो उत्साह यहां नजर आ रहा है वह सुखद है। उषा प्रियंवदा ने अपने संबोधन में कहा कि हिन्दी ने भारत की सीमा के बाहर आकर जो स्थान बनाया है उसका ही प्रमाण है यह कार्यक्रम।
कार्यक्रम के अगले चरण में आयोजित रचना पाठ सत्र में डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी अभिनव चतुर्वेदी तथा पंकज सुबीर ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। प्रथम सत्र का संचालन दूसरे सत्र का संचालन प्रवासी कवि अभिनव शुक्ल ने किया। डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी द्वारा किए गए व्यंग्य पाठ को श्रोताओं ने बहुत सराहा। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भारतीय हिन्दी प्रेमी श्रोतागण उपस्थित थे। अंत में आभार प्रमोद शर्मा ने व्यक्त किया।

3 टिप्पणियाँ
ढींगरा फ़ाउण्डेशन-हिन्दी चेतना अंतर्राष्ट्रीय साहित्य सम्मान समारोह में उपस्थित सभी सम्मानित विद्वानों को सुखमंगल सिंह का कोटि-कोटि प्रणाम | इस रचना से -
जवाब देंहटाएंखुलकर कहूँ तो क्या कहूँ |
सच ना सहूँ तो क्या सहूँ ||
उठो जी खोलो दिल के द्वार |
अब खिलाएं फूलों का संसार||
गिराएं नफरत की दीवार |
झटको लानत की तलवार ||
सुन!दुनियां मांगती रही प्यार |
हमें बस यार - प्यार चाहिए ||२||
ये दुनिया सबसे कहती है |
मोहब्बत सबमें रखती है ||
ये दुनिया सबको प्यारी है |
करती सबपर दिलदारी है ||
ये दुनियाँ बहुत निराली है |
करती सबकी रखवाली है ||
दुनियाँ ममता का श्रृंगार |
इसे मत बांटो मेरे यार ||2||
ना नचाओ गम के वादळ |
हो रौशन आने वाला पल ||
दुनियाँ दुःख से हो आजाद |
मिटाओ नफ़रत की दीवार ||
सवारे भारत उठाकर भार |
मिलाओ दिल से दिल का तार ||२||
सियासत क्यो ये जख्मी |
बनाते रहे सदा कठपुतली ||
इसे बस मारा गुरुवत ने |
जिसे बस लूटा दौलत ने ||
नचारे !जंग का थानेदार |
माना पायल की झंकार ||२||
बहुत बढ़िया जानकारी , शुभकामनाये !
जवाब देंहटाएंसामाचार के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.