HeaderLarge

नवीनतम रचनाएं

6/recent/ticker-posts

बेटियां [कविता] - संजय वर्मा "दृष्टि"

IMAGE1
एपायल छनकाती बेटियां


 संजय वर्मा रचनाकार परिचय:-


संजय वर्मा "दृष्टि" २-५-१९६२ को उज्जैन में जन्मे लेखक है। कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में इनके पत्र और रचनाएँ नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। आप आकाशवाणी से भी काव्य पाठ कर चुके हैं। इन्हें कई सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है
मधुर संगीत सुनाती बेटियां
पिता की साँस बेटियां
जीवन की आस बेटियां
हाथों की लकीर बेटियां
राखी की डोर बेटियां
उचाईयों को छू जाती बेटियां
होसला बढ़ा जाती बेटियां
चाँद -तारों से प्यारी बेटियां
उम्मीद की किरण बेटियां
मेहंदी रचाती रहती बेटियां
ख्वाबो के रंग सजाती बेटियां
ससुराल जब जाती बेटियां
यादें घरों मे छोड़ जाती बेटियां
जब -जब संदेशा भेजती बेटियां
मन को खुश कर जाती बेटियां
आँखों मे सदा ही बसती बेटियां
आंसू बन संग हमारे रहती बेटियां
मातापिता का बनती सहारा बेटियां
मजबूत रिश्तों का बंधन होती बेटियां

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

  1. इतनी गुणी होने पर भी जाने क्यों कुछ नासमझ लोगों की आँखों में खटकती हैं बेटियां ..
    बहुत सुन्दर ...
    गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं

आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.

आइये कारवां बनायें...

~~~ साहित्य शिल्पी का पुस्तकालय निरंतर समृद्ध हो रहा है। इन्हें आप हमारी साईट से सीधे डाउनलोड कर के पढ सकते हैं ~~~~~~~

डाउनलोड करने के लिए चित्र पर क्लिक करें...