
श्यामल सुमन
और निकलता काम किसी का
मेरी मिहनत और पसीना
होता है आराम किसी का
कोई आकर जहर उगलता
शहर हुआ बदनाम किसी का
गद्दी पर दिखता है कोई
कसता रोज लगाम किसी का
लाखों मरते रोटी खातिर
सड़ता है बादाम किसी का
जीसस, अल्ला जब मेरे हैं
कैसे कह दूँ राम किसी का
साथी कोई कहीं गिरे ना
हाथ सुमन लो थाम किसी का
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