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चरितार्थ होती “ जिसकी लाठी उसकी भेंस “ [लेख] - नागपाल सिंह

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सीधे मुद्दे पे आ जाता हूँ .....ये हो क्या रहा है इस देश में?

 नागपाल सिंह रचनाकार परिचय:-



नागपाल सिंह
9828157423
शिक्षाविद
B.Sc., M.A., MBA, B.Ed.
वर्तमान में शिक्षा सलाहकार व् व्यक्तित्व व मीडिया सलाहकार
भीलवाडा (राजस्थान)

और मुझे तो आश्चर्य होता है, ये कहने में की हम एक हैं ....हम एक राष्ट्र के वाशिंदे है ....कभी तो लगता है कितने बिखरे पड़े हैं हम ......अगर शरीर होता ये राष्ट्र अलगाव और विरोध की दुर्गन्ध से भर गया होता, या फिर इसे सरकारी तंत्र की विफलता कहें या फिर कुछ स्वार्थ लोलुप सजिक समूहों या फिर व्यक्ति विशेष की अति महत्वाकांक्षा जिसने आज पूरे देश को एक वृहत अखाड़े में तब्दील कर दिया है जहाँ सिर्फ एक ही नियम की अनुपालना होती है की कोई नियम से नहीं चलेगा, और तो और अब तो लगने लगा है सरकार भी पंगु की भाँती हर उस चीज के सामने ऐसे घुटने टेक देती है जैसे उसका स्वयं का कोई वजूद ही नहीं है ....और तो और जनमानस में भी यह विचारधारा अंतर्निहीत सी हो गयी है की अगर तुम्हे तुम्हारा हक़ चाहिए तो लाठी तगड़ी लेके आओ ...किसी भी समस्या का हल एक विधि स्थापित तंत्र से नहीं बल्कि ताकत और जोर आजमाईश से किया जा रहा है .....गुर्जरों को आरक्षण चाहिए ..रोड बंद ...बाज़ार बंद ....हो गयी मांग ......, मीणा आरक्षण छोड़ना नहीं चाहते ...रोड बंद ...बाज़ार बंद ...उपद्रव और हिंसा .........आंध्रप्रदेश को के दो राज्य बनाओ ......रोड बंद ...बाज़ार बंद......हिंसा.....सरकारी संपत्ति का विध्वंश ..... आंध्रप्रदेश को के दो राज्य मत बनाओ. ......रोड बंद ...बाज़ार बंद......हिंसा.....सरकारी संपत्ति का विध्वंश ....., हमारे धर्म के खिलाफ एक सामजिक समूह बोला .. ......रोड बंद ...बाज़ार बंद......हिंसा.....सरकारी संपत्ति का विध्वंश ....., उन्होंने हमारी जात के लिए अपशब्द करे .........चलो धरने पे ....रोक तो रास्ते ......रेल नहीं चलनी चाहिए ........, लोकपाल कानून बनिए.........जंतर मंत्र को फिर आबाद करिए .........ओरोप (एक पोस्ट एक पेंशन ) चाहिए ....चलो जंतर मंतर ......भूख हरताल पर बैठते है......आरक्षण नीति की समीक्षा होनी चाहिए ...... ......रोड बंद ...बाज़ार बंद......हिंसा.....सरकारी संपत्ति का विध्वंश ....., आरक्षण बिना किसी चर्चा के चलते रहना चाहिए चाहे घर के जानवर पढने भेजने पड़ें, और किसी ने विरोध किया तो ......रोड बंद ...बाज़ार बंद......हिंसा.....सरकारी संपत्ति का विध्वंश ....., उसने हमे गाली दी...अमुख ने हमारी निंदा की ....चलो नारे लगाते हैं ...और स्वयं प्रधान , चाहे जिले का हो , राज्य का हो या फिर देश का ...उसको लेना पड़ेगा हमारा विरोध पत्र ...नहीं तो ......, ये हमारा भूमि अधिग्रहण बिल नहीं लाये .....भारत बंद .......ये हमारे सामने झुक गए इन्होने हमारी बात मान ली ..चलो विजय जूलूस निकालते हैं और फिर से वही नारे , रोडी बंद, बाज़ार बंद .....न जाने क्या क्या ..

क्या है आखिर ये सब? ........क्या यही है प्रजातंत्र? ....क्या इसी का नाम है कानून? ....जी नहीं ये सिर्फ और सिर्फ लाठी तंत्र है ...जिसकी जितनी ताकत उतना बड़ा न्याय .....गुजरात के १७% पटेल अगर आरक्षण की मांग कर सकते है तो उसका सीधा सा कारण है उनकी ताकत, और राजनैतिक पार्टियाँ बखूबी जानती है इन हरकारों के साथ भैस का व्यापार करना ....उत्तर प्रदेश सरकार उसकी होती है जिसके (MY) मुस्लिम –यादव समूह होता है न की न्याय ..बिहार में तीन-तीन जली लकडिया एक नयी लाठी का रूप लेने को आतुर है क्योंकि वो जानते हैं भाजपा की लाठी में फिलहार बड़ी ताकत है इसलिए एकजुट हो गए ..... और ये सिद्धांत बड़े विस्तृत पैमाने पर अमल में लाया जाने लगा है लोगों द्वारा ...ऐसा लगता है जिसके पास ताकत या धन बल का की लाठी नहीं है उसे दूध पीना छोड़ देना चैहिये ....चूने में पानी मिलकर दूध का वेहम दूर कर लेना चाहिए ...यहाँ तो अब खुले में होगा ...जिसकी लाठी उसकी भैंस .....बस ऐसे ही चलेगा सब कुछ ..भूल जाईये सभ्यता ..दिमाग से निकाल दिजीये न्याय ......या तो किसी की लाठी से जुड़ जाईये या फिर अपनी लाठी तो तेल पिलाना शुरू कर दीजिये ...किसे मालूम कभी जरूरत पड जाए ...........

लेखक :- बगैर लाठी वाला एक नागरिक

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1 टिप्पणियाँ

  1. बहुत बढ़िया ! आपका नया आर्टिकल बहुत अच्छा लगा www.gyanipandit.com की और से शुभकामनाये !

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