पुस्तक चर्चा
प्रगतिशील कृषि के स्वर्णाक्षर – डॉ. नारायण चावड़ा
हिन्दी में कृषि सन्दर्भों पर बहुत कम अच्छी किताबें उपलब्ध हैं और बात अगर किसी किसान की जीवनी की हो तो न्यूनतम। लेखक राजीव रंजन प्रसाद की पुस्तक “प्रगतिशील कृषि के स्वर्णाक्षर” कई कारणों से महत्व की कृति है। यह एक सफल किसान की कहानी है जिसने संघर्षों पर विजय पायी तथा आज अनेक प्रकार के उन्नत बीजों और हाईब्रिड पौधों पर शोध के लिये वे जाने जाते हैं। पुस्तक बहुत ही रोचक तरीके से लिखी गयी है क्योंकि यह केवल सपाट बयानी और जानकारियों का संग्रह नहीं है। यह पुस्तक किसी कहानी को कहने की शैली में लिखी गयी है जिसमें खेती से जुडी अनेक प्रकार की जानकारियों को भी समुचित स्थान मिला है। किसी लेखक के द्वारा तकनीकी विषय पर लिखे जाने का लाभ यह होता है कि पुस्तक में रोचकता, साहित्यिक तत्व और ज्ञान तीनो का समान रूप से समायोजन हो जाता है, सम्भव है इसीलिये पुस्तक में प्रत्येक अध्याय के अंत में एक लघुकथा भी समाविष्ठ जिसके माध्यम से प्रत्येक अध्याय के कहन का सार प्रस्तुत किया गया है। पुस्तक यश पब्लिकेशन्स, नवीन शहादरा, नयी दिल्ली से प्रकाशित हुई है तथा सम्पूर्ण रंगीन पृष्ठों में प्रकाशित इस पुस्तक का मूल्य रुपये 995/- रखा गया है।
यह पुस्तक कच्छ से पानी की कमी के कारण विस्थापित हुए एक किसान मोनजी भाई चावड़ा के परिचय व संघर्षों से प्रारम्भ होती है। काम के अभाव में अंग्रेजों द्वारा रेल्वे स्लिपर लगाने के कार्य में संलिप्त होने के पश्चात वे रायपुर में बसते हैं जहाँ सब्जी की खेती करने लगते हैं। उनके पुत्र नारायण चावड़ा बीएससी एग्रीकल्चर की पढाई पूरी करने के पश्चात अपने खेतों की और लौटते हैं तथा एक कछारी भूमि का चयन कर उसका सुधार करने के बाद उसमें खेती करने लगते है। समय के साथ साथ अपने अनुभव व ज्ञान से वे सब्जी की खेती, फलों की खेती आदि में कई तरह के प्रयोग करते हैं इस तरह कई तरह के हाईब्रिड पौधे, नये बीज आदि का इजाद करने में वे सफल होते हैं। उनके पुत्र विमल चावडा, अपने पिता की उपलब्धियों को समुचित बाजार उपलब्ध करा कर वीएनआर सीड्स नाम से एक कम्पनी खोल लेते हैं जो सफलताओं के कई पैमाने तय करती है। नारायण चावडा को कई राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं इस तरह उन्होंने फर्श से अर्श तक का एक सफल सफर पूरा किया है। इस कहानी के ताने बाने में जीवनी के सभी तत्व तो हैं ही जिसमें प्रेम, संघर्ष, सफलता के हर मनोविज्ञान को स्पर्श करते हुए लेखक ने एक किसान के जीवन की हर परत को साफगोई से सामने रखा है।
यह पुस्तक केवल जीवनी नहीं है। पुस्तक में लेखक ने राष्ट्र के कृषि परिदृश्य तथा छत्तीसगढ की खेती पर शोध कर स-विस्तार लिखा है। पुस्तक खेती की बुनियादी पुस्तक भी कही जा सकती है क्योंकि जीवनी की आड़ में बहुत चतुराई से लेखक ने खेती के सभी आयामों को समझाया है जिससे किसी भी कृषि के विद्यार्थी के लिये यह अवश्य पढे जाने योग्य बन गयी है। पुस्तक में विभिन्न योजना आयोग के कार्यकालों में खेती पर हुए कार्यों, हरित क्रांति के अनेक पक्षों, जैविक तथा रासायनिक खेती के बीच अंतर तथा अंतर्सम्बन्धों आदि को भी बखूबी समझाया गया है। पुस्तक फसलों के वर्गीकरण से ले कर देश विदेश में खेती को ले कर किस तरह के अनुसंधान हुए इन्हें बहुत अच्छी तरह प्रस्तुत करती है। पुस्तक में वीएनाअर सीड्स के उन सभी बीज-फल-सब्जी के प्रकार उत्पादों का भी सचित्र विवरण प्रस्तुत किया गया है जिनकी खोज डॉ. नारायण चावड़ा द्वारा की गयी है।
डॉ. नारायण चावड़ा को कृषि पण्डित की मानद उपाधि पं रविशंकर विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा प्रदान की गयी है। उन्हें अन्य अनेक राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले हैं। उनके फार्म में खेती की तकनीक देखने अनेक राजनेता और देश-विदेश के किसान निरंतर आते रहते हैं। लेखक राजीव रंजन प्रसाद ने एक सफल किसान को नायक बना कर जिस तरह से यह पुस्तक लिखी है वह निश्चित ही नयी पीढी के लिये प्रेरणा का स्त्रोत बनेगी। इस पुस्तक का उद्देश्य भी यही है कि कृषि में छिपी सतत विकास की संभावनाओं से पर्दा उठाया जाये।
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4 टिप्पणियाँ
हिंदी में प्रतिदिन विपुल संख्या में पुस्तकें छप रही हैं। पुस्तकों की भीड़ में अन्यों से भिन्न है यह पुस्तक।सत्तासीन नेताओं के गुणानुवाद करनेवालों की भीड़ में एक किसान के जीवट और प्रयासों की संघर्ष कथा को
जवाब देंहटाएंसामने लाना लेखक और प्रकाशक दोनों के लिये चुनौती है। राजीव रंजन तथा यश पब्लिकेशन साधुवाद के पात्र हैं। अभिषेक सागर ने पुस्तक की संक्षिप्त समीक्षा में विषय वस्तु के साथ न्याय किया है।
संपादक जी,
जवाब देंहटाएंयह पुस्तक अभी मेरे देखने में तो नहीं आई, पर समीक्षा के पढ़ने से लगता है कि पुस्तक रोचक और बहुत अच्छी होगी.
एक निवेदन-
अगर अनुमति दें तो साहित्य शिल्पी में छपने के लिेए अपनी एक कविता भेजूँ. कविता लंबी है.
--शेषनाथ प्र श्री
आदरणीय शेषनाथ जी,
हटाएंसाहित्य शिल्पी आप सभी सुधी पाठ्कों की अपनी पत्रिका है...आप हमे अपनी कविता sahityashilpi@gmail.com पर प्रेषित करे..जिसे सम्पादक मंडल देख कर आपको प्रतिउत्तर देगा।
धन्यवाद
साहित्य शिल्पी की ओर से अभिषेक सागर
राजीव रंजन प्रसाद जी की पुस्तक - प्रगतिशील कृषि के स्वर्णाक्षर – डॉ. नारायण चावड़ा की सार्थक समीक्षा प्रस्तुति हेतु आपका आभार!
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.