साहित्य शिल्पी के पाठकों के लिये आचार्य संजीव वर्मा "सलिल" ले कर प्रस्तुत हुए हैं "छंद और उसके विधानों" पर केन्द्रित आलेख माला। आचार्य संजीव वर्मा सलिल को अंतर्जाल जगत में किसी परिचय की आवश्यकता नहीं। आपने नागरिक अभियंत्रण में त्रिवर्षीय डिप्लोमा, बी.ई., एम.आई.ई., एम. आई. जी. एस., अर्थशास्त्र तथा दर्शनशास्त्र में एम. ए., एल-एल. बी., विशारद, पत्रकारिता में डिप्लोमा, कंप्युटर ऍप्लिकेशन में डिप्लोमा किया है।
साहित्य सेवा आपको अपनी बुआ महीयसी महादेवी वर्मा तथा माँ स्व. शांति देवी से विरासत में मिली है। आपकी प्रथम प्रकाशित कृति 'कलम के देव' भक्ति गीत संग्रह है। 'लोकतंत्र का मकबरा' तथा 'मीत मेरे' आपकी छंद मुक्त कविताओं के संग्रह हैं। आपकी चौथी प्रकाशित कृति है 'भूकंप के साथ जीना सीखें'। आपने निर्माण के नूपुर, नींव के पत्थर, राम नाम सुखदाई, तिनका-तिनका नीड़, सौरभ:, यदा-कदा, द्वार खड़े इतिहास के, काव्य मन्दाकिनी 2008 आदि पुस्तकों के साथ साथ अनेक पत्रिकाओं व स्मारिकाओं का भी संपादन किया है। आपने हिंदी साहित्य की विविध विधाओं में सृजन के साथ-साथ कई संस्कृत श्लोकों का हिंदी काव्यानुवाद किया है। आपकी प्रतिनिधि कविताओं का अंग्रेजी अनुवाद 'Contemporary Hindi Poetry" नामक ग्रन्थ में संकलित है। आपके द्वारा संपादित समालोचनात्मक कृति 'समयजयी साहित्यशिल्पी भागवत प्रसाद मिश्र 'नियाज़' बहुचर्चित है।
आपको देश-विदेश में 12 राज्यों की 50 सस्थाओं ने 75 सम्मानों से सम्मानित किया जिनमें प्रमुख हैं- आचार्य, वाग्विदाम्बर, 20वीं शताब्दी रत्न, कायस्थ रत्न, सरस्वती रत्न, संपादक रत्न, विज्ञान रत्न, कायस्थ कीर्तिध्वज, कायस्थ कुलभूषण, शारदा सुत, श्रेष्ठ गीतकार, भाषा भूषण, चित्रांश गौरव, साहित्य गौरव, साहित्य वारिधि, साहित्य शिरोमणि, साहित्य वारिधि, साहित्य दीप, साहित्य भारती, साहित्य श्री (3), काव्य श्री, मानसरोवर, साहित्य सम्मान, पाथेय सम्मान, वृक्ष मित्र सम्मान, हरी ठाकुर स्मृति सम्मान, बैरिस्टर छेदीलाल सम्मान, शायर वाकिफ सम्मान, रोहित कुमार सम्मान, वर्ष का व्यक्तित्व(4), शताब्दी का व्यक्तित्व आदि।
आपने अंतर्जाल पर हिंदी के विकास में बडी भूमिका निभाई है। साहित्य शिल्पी पर "काव्य का रचना शास्त्र (अलंकार परिचय)" स्तंभ से पाठक पूर्व में भी परिचित रहे हैं। प्रस्तुत है छंद पर इस महत्वपूर्ण लेख माला की तेरहवीं कड़ी:
रूपमाला / मद / मदन / मदनावतारी छंद
लक्षण छंद:
।
कला गुरु-लघु रख चरण के, अंत उग प्रभात
।
।
नाग पिंगल को नमनकर, छंद रचिए आप्त
।
नव रसों का पान करिए,
'सलिल' सुख
मन-व्याप्त
।
।
*
तीन दो दो, तीन दो दो, तीन दो दो ताल
रूपमाला छंद की है यही उत्तम चाल - नारायण दास, हिंदी छ्न्दोलक्षण
छंद-लक्षण:
जाति अवतारी, अर्ध सम मात्रिक छंद, प्रति पंक्ति मात्रा २४ मात्रा, यति
चौदह-दस, पदांत गुरु-लघु (तगण, जगण), दो-दो पदों की तुकांतता।
मात्रा बाँट - २१२२ / २१२२ / २१२२ / २१, २१ के स्थान पर १११ भी मान्य। तीसरी, दसवीं, सत्रहवीं मात्रा यथा संभव लघु
।
*
उदाहरण:
१. देश ही सर्वोच्च है- दें
,
देश-हित में प्राण
।
जो- उन्हीं के योग से है
,
देश यह संप्राण
।
।
करें श्रद्धा-सुमन अर्पित
,
यादकर बलिदान
।
पीढ़ियों तक वीरता का
,
'सलिल
'
होगा गान
।
।
२. वीर राणा अश्व पर थे, हाथ में तलवार
।
मुगल सैनिक घेर करते, अथक घातक वार
।
।
दिया राणा ने कई को, मौत-घाट उतार
।
पा न पाये हाय! फिर भी, दुश्मनों से पार
।
।
ऐंड़ चेटक को लगायी, अश्व में थी आग
।
प्राण-प्राण से उड़ हवा में, चला शर सम भाग
।
।
पैर में था घाव फिर भी, गिरा जाकर दूर
।
प्राण त्यागे, प्राण-रक्षा की- रुदन भरपूर
।
।
किया राणा ने, कहा: 'हे अश्व! तुम हो धन्य
।
अमर होगा नाम तुम हो तात! सत्य अनन्य।
।
३. रत्न दिसि कल रूपमाला, साजिए सानंद।
रामही के शरण में रहि, पाइये आनंद।।
जातु हौ वन वादिही गल, बांधिके बहु तंत्र ।
धामहीं किन जपत कामद, रामनाम सुमंत्र।। - जगन्नाथ प्रसाद भानु
४. दृष्टि की धुँधली परिधि में, आ गया आकार।
बज गया आनंददायी, ह्रदयतंत्री तार।।
केश की काली घटा में, चंद्र सी मुख-छाप।
प्रीति-पथ पर फेंकती थी, ज्योति अपने आप।। - रामदेव लाल 'विभोर'
५. धडकनें मदहोश पागल, नयन छलके प्यार।
बोल कुछ बोलें नहीं लब, मौन सब व्यवहार।।
शांति, चिरस्थायित्व खुशियाँ, प्रीत के उपहार।
झूमता जब प्रेम-अँगना, बह चले रस-धार।। - डॉ. प्राची सिंह
६. गर बचाना चाहते हम आज यह संसार।
है जरूरी पेड़-पौधों से करें सब प्यार।।
पेड़ ही तो बनाते हैं मेघमय आकाश।
पेड़ वर्ष ला बुझाते इस धरा की प्यास।। - संजय मिश्र 'हबीब'
७.स्पर्श करने लगी लज्जा, ललित कर्ण कपोल।
खिला पुलक कदम्ब सा था, भरा गदगद बोल।। -जय शंकर प्रसाद, कामायनी
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- क्रमश:14
2 टिप्पणियाँ
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जवाब देंहटाएंMeetu Misra, Rahul Bhardwaj और Vinod Parik को यह पसंद है.
फेसबुक पर
जवाब देंहटाएंChandrakant Pargir, Abhishek Sagar और 2 और को यह पसंद है.
अंकुर तिवारी
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Abhishek Sagar
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Chandrakant Pargir
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Rakesh Chandra Sharma
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