कैसा समय है यह
जब हल कोई चला रहा है
अन्न और खेत किसी का है
ईंट-गारा कोई ढो रहा है
इमारत किसी की है
काम कोई कर रहा है
नाम किसी का है
जब हल कोई चला रहा है
अन्न और खेत किसी का है
ईंट-गारा कोई ढो रहा है
इमारत किसी की है
काम कोई कर रहा है
नाम किसी का है
नाम : सुशांत सुप्रिय ( कवि , कथाकार व अनुवादक )
जन्म : २८ मार्च , १९६८
प्रकाशित कृतियाँ : # कथा-संग्रह -- हत्यारे ( २०१० )
हे राम ( २०१२ )
# काव्य-संग्रह -- एक बूँद यह भी ( २०१४ )
( सभी पुस्तकें नेशनल पब्लिशिंग हाउस , जयपुर से )
कविताएँ व कहानियाँ कई भाषाओं में अनूदित व पुरस्कृत ।
संपर्क : मो -- 8512070086
ई-मेल : sushant1968@gmail.com
जब भेड़ियों ने हथिया ली हैं
सारी मशालें
और हम निहत्थे खड़े हैं
कैसा समय है यह
जब भरी दुपहरी में अँधेरा है
जब भीतर भरा है
एक अकुलाया शोर
जब अयोध्या से बामियान तक
ईराक़ से अफ़ग़ानिस्तान तक
बौने लोग डाल रहे हैं
लम्बी परछाइयाँ
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ईराक़ से अफ़ग़ानिस्तान तक
जवाब देंहटाएंबौने लोग डाल रहे हैं
लम्बी परछाइयाँ
वाह वाह
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