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तुम्हें देखकर [कविता]- शिव कुमार यादव

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एक मुस्कान ठहरी है तेरे होठों में
जरुर किसी ने सपनो को गुदगुदाया होगा
नहीं है चहरे में कोई काला बादल
वफ़ा के गीत फिर कोई
तेरे कानों में गुनगुनाया होगा


 शिव कुमार यादव रचनाकार परिचय:-



शिव कुमार यादव
डी. 170 – आर.एम.एस.कालोनी
टैगोर नगर / रायपुर / छत्तीसगढ़
मोबाईल- 09407625051

माना की तल्ख़ है जिंदगी का सफ़र
जीने के लिए हौसला चाहिए
मंजिल दूर नहीं होती सपनो की
जंग लड़ने का फैसला चाहिए
तुम बहुत मासूम हो,पाक इरादे हैं
जिंदगी की वादियों में तैरते वादे हैं
लगता है पढ़ लिया जिंदगी की किताब
किसी लफ्ज ने तुम्हें भरमाया होगा

देख रहा हूँ शोखियाँ तेरी आँखों में
खिल रहे फूल जैसे चाहत की शाखों में
संजीदा चहरे पे नूर आ गया है
जैसे जिंदगी में जीने का सुरूर आ गया है
वक्त ने फिर सपनों को सहलाया होगा

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1 टिप्पणियाँ

  1. फेसबुक पर
    Lal Baghel, Rakesh Chandra Sharma, Abhishek Sagar और 3 अन्य को यह पसंद है.
    टिप्पणियाँ
    Shobha Yadav
    Shobha Yadav Sir, saw u after long time. Hope U r fine ? Will come to meet U any day.
    पसंद · जवाब दें · 28 जनवरी को 10:48 पूर्वाह्न बजे

    Rakesh Chandra Sharma
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    Vinod Malviya
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