काश काम आ जाएँ किसी के, इच्छा है ,दीवानों की !

नाम : सतीश सक्सेना
जन्मतिथि : १५ -१२-१९५४
जन्मस्थान : बदायूं
जीवनी : जब से होश संभाला, दुनिया में अपने आपको अकेला पाया, शायद इसीलिये दुनिया के लिए अधिक संवेदनशील हूँ ! कोई भी व्यक्ति अपने आपको अकेला महसूस न करे इस ध्येय की पूर्ति के लिए कुछ भी ,करने के लिए तैयार रहता हूँ ! मरने के बाद किसी के काम आ जाऊं अतः बरसों पहले अपोलो हॉस्पिटल में देहदान कर चुका हूँ ! विद्रोही स्वभाव,अन्याय से लड़ने की इच्छा, लोगों की मदद करने में सुख मिलता है ! निरीहता, किसी से कुछ मांगना, झूठ बोलना और डर कर किसी के आगे सिर झुकाना बिलकुल पसंद नहीं ! ईश्वर से प्रार्थना है कि अन्तिम समय तक इतनी शक्ति एवं सामर्थ्य अवश्य बनाये रखे कि जरूरतमंदो के काम आता रहूँ , भूल से भी किसी का दिल न दुखाऊँ और अंतिम समय किसी की आँख में एक आंसू देख, मुस्कराते हुए प्राण त्याग कर सकूं !
दुनिया वाले क्या पहचाने,फितरत हम मस्तानों की !
कहाँ से लायेंगे, उजला मन, आदत पड़ी बहानों की !
हँसते हँसते सब दे डाला , अब इक जान ही बाकी है !
काश काम आ जाएँ किसी के, इच्छा है ,दीवानों की !
रहे बोलते जीवन भर तुम,हम किससे फ़रियाद करें !
खामोशी का अर्थ न समझे,हम फक्कड़ मस्तानों की !
सूफी संतों ने सिखलाया , मदद न मांगे, दुनिया से !
कंगूरों को, सर न झुकाया, क्या परवा सुल्तानों की !
प्यार बाँटते, दगा न करते , भीख न मांगे दुनिया से !
ज्वालामुखी मुहाने जन्में , क्या चिंता अंगारों की !
अभिशापित जीवन पाया है, क्या हमको दे पाओगे !
जाओ, जाकर, बाहर घूमो ,रौनक लगी बाजारों की !
बंजारे को ख्वाब दिखाते , महलों और मेहराबों के !
बरगद तले, बसेरा काफी, मदद न लें इन प्यारों की !
4 टिप्पणियाँ
वाह बहुत सुन्दर ।
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जवाब देंहटाएंआपने लिखा...
और हमने पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 05/02/2016 को...
पांच लिंकों का आनंद पर लिंक की जा रही है...
आप भी आयीेगा...
great collection..inspiring as previous collection!
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत और सार्थक अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.