ऐसा भी कोई तौर तरीका निकालिये।
अहसास को अल्फाज़ के सांचे में ढालिये।।
अहसास को अल्फाज़ के सांचे में ढालिये।।
चेतन आनंद
426\S-1 शालीमार गार्डेन एक्स्टेशन .-1
साहिबाबाद , गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश )
फोन नं .:- 08586053956, 9711808485
ई मेल :- av.chetan2007@gmail.com
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जकड़ा रहे जो रोज़ ही नफ़रत के जाल में,
ऐसा दिलो दिमाग़ में रिश्ता न पालिये।।
दीवार रच रही है बांटने की साजिशें,
उठिये कि घर संभालिये, आंगन संभालिये।।
सोया है गहरी नींद में बहरा ये आसमां,
तो चीखिये, आवाज़ के पत्थर उछालिये।।
फाक़ाकशी में भूख लगी तो यही किया,
हमने ये अश्क पी लिये, ये ग़म ही खा लिये।।
- चेतन आनंद
1 टिप्पणियाँ
दीवार रच रही है बांटने की साजिशें,
जवाब देंहटाएंउठिये कि घर संभालिये, आंगन संभालिये।।...
वाह....
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