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वक्त [कविता]- शिव कुमार यादव

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खाली हो गया आंसुओं से
मेरी आँखों का पैमाना.
नहीं रहा अब मेरी गलियों में
तेरा आना जाना.


 शिव कुमार यादव रचनाकार परिचय:-



शिव कुमार यादव
डी. 170 – आर.एम.एस.कालोनी
टैगोर नगर / रायपुर / छत्तीसगढ़
मोबाईल- 09407625051

कौन बेरहम है, कह नहीं सकता
वक्त या वक्त का फ़साना.
लुट गया जज्बातों का मेला
नहीं रहा अब कोई बहाना,

बदलते मौसम से बदल गए
तेरी आरजू, तेरा ख़याल.
नहीं रहा अब, मेरे नाम से
तेरे गालों में वो गुलाल,

दफ़न हो गया सपनो का
सजना – सजाना..

xxxxxxxxxxxxxxxxxx

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2 टिप्पणियाँ

  1. कौन बेरहम है, कह नहीं सकता
    वक्त या वक्त का फ़साना.
    अच्छी कविता....

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  2. फेसबुक पर

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