पायल,चूड़ी ,लहंगा,टीका, बिंदी ,मेंहदी विदा हुईं !

नाम : सतीश सक्सेना
जन्मतिथि : १५ -१२-१९५४
जन्मस्थान : बदायूं
जीवनी : जब से होश संभाला, दुनिया में अपने आपको अकेला पाया, शायद इसीलिये दुनिया के लिए अधिक संवेदनशील हूँ ! कोई भी व्यक्ति अपने आपको अकेला महसूस न करे इस ध्येय की पूर्ति के लिए कुछ भी ,करने के लिए तैयार रहता हूँ ! मरने के बाद किसी के काम आ जाऊं अतः बरसों पहले अपोलो हॉस्पिटल में देहदान कर चुका हूँ ! विद्रोही स्वभाव,अन्याय से लड़ने की इच्छा, लोगों की मदद करने में सुख मिलता है ! निरीहता, किसी से कुछ मांगना, झूठ बोलना और डर कर किसी के आगे सिर झुकाना बिलकुल पसंद नहीं ! ईश्वर से प्रार्थना है कि अन्तिम समय तक इतनी शक्ति एवं सामर्थ्य अवश्य बनाये रखे कि जरूरतमंदो के काम आता रहूँ , भूल से भी किसी का दिल न दुखाऊँ और अंतिम समय किसी की आँख में एक आंसू देख, मुस्कराते हुए प्राण त्याग कर सकूं !
अपने सीने पर, चिपकाकर,इन्हें सुलाया करते थे !
इनकी चमकीली आँखों में,हम खो जाया करते थे !
कोई जीव न भूखा जाये , गुडिया के दरवाजे से !
कुत्ते, बिल्ली,और कबूतर, इन्हें लुभाया करते थे !
पापा भाई को यह लड़की,अक्सर ही धमकाती थी !
इनकी शिकायती चिट्ठी से,मन बहलाया करते थे
भैया से कुछ छीन के भागी, पापा के पीछे छिपने !
इनकी नन्हीं मुट्ठी से, हम टाफी खाया करते थे !
खूब हंसाती थी,हंसती थी,गुडिया प्यारी प्यारी सी
इनकी तुतली भाषा में,हम गाना गाया करते थे !
गले में झूलें हाथ डालकर,मीठी पुच्ची करतीं थी !
इनकी मीठी मनुहारों में ,हम खो जाया करते थे !
दफ्तर से आने पर छिपतीं ,पापा आकर ढूंढेंगे !
पूरे घर में इन्हें ढूंढ कर,हम थक जाया करते थे !
पायल,चूड़ी ,लहंगा,टीका, बिंदी ,मेंहदी विदा हुईं !
रेगिस्तान में मीठे झरने ,सुख पंहुचाया करते थे !
4 टिप्पणियाँ
Lajawab kar diya Satish Bhai...aankhen chhalchhala uthin...waah waah waah...jiyo
जवाब देंहटाएंVery Nice
जवाब देंहटाएंAti sunder
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता...बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.