होली गीत
1. होली के रंग
रंग होली के कितने निराले,
आओ सबको अपना बना लें,
भर पिचकारी सब पर डालें,
पी को अपने गले लगा लें ।
रक्तिम कपोल आभा से दमकें,
कजरारे नैना शोखी से चमकें,
अधर गुलाबी कंपित दहकें,
पलकें गिरगिर उठ उठ चहकें ।
पीत अंगरिया भिगी झीनी,
सुध बुध गोरी ने खो दीनी,
धानी चुनर सांवरिया छीनी,
मादकता अंग अंग भर दीनी ।
हरे रंग से धरा है निखरी,
श्याम वर्ण ले छायी बदरी,
छन कर आती धूप सुनहरी,
रंग रंग की खुशियां बिखरीं ।
नीला नीला है आसमान,
खुशियों से बहक रहा जहान,
मस्ती से चहक रहा इंसान,
होली भर दे सबमें जान ।
2. किससे खेलूं होली रे !
पी हैं बसे परदेश,
मै किससे खेलूं होली रे !
रंग हैं चोखे पास
पास नही हमजोली रे !
पी हैं बसे परदेश,
मै किससे खेलूं होली रे !
देवर ने लगाया गुलाल
मै बन गई भोली रे !
पी हैं बसे परदेश,
मै किससे खेलूं होली रे !
ननद ने मारी पिचकारी,
भीगी मेरी चोली रे !
पी हैं बसे परदेश,
मै किससे खेलूं होली रे !
जेठानी ने पिलाई भांग,
कभी हंसी कभी रो दी रे !
पी हैं बसे परदेश,
मै किससे खेलूं होली रे !
सास नही थी कुछ कम,
की उसने खूब ठिठोली रे !
पी हैं बसे परदेश,
मै किससे खेलूं होली रे !
देवरानी ने की जो चुहल
अंगिया मेरी खोली रे !
पी हैं बसे परदेश,
मै किससे खेलूं होली रे !
बेसुध हो मै भंग में
नन्दोई को पी बोली रे !
पी हैं बसे परदेश,
मै किससे खेलूं होली रे !
3. होली का त्यौहार
होली का त्यौहार ।
रंगों का उपहार ।
प्रकृति खिली है खूब ।
नरम नरम है दूब ।
भांत भांत के रूप।
भली लगे है धूप ।
गुझिया औ मिष्ठान ।
खूब बने पकवान ।
भूल गये सब बैर ।
अपने लगते गैर ।
पिचकारी की धार ।
पानी भर कर मार ।
रंगों की बौछार ।
मस्ती भरी फुहार ।
मीत बने हैं आज
खोल रहे हैं राज ।
नीला पीला लाल ।
चेहरों पे गुलाल ।
खूब छनी है भांग ।
बड़ों बड़ों का स्वांग ।
मस्ती से सब चूर ।
उछल कूद भरपूर ।
आज एक पहचान ।
रंगा रंग इनसान ।
4. होली आई
हम बच्चों की मस्ती आई
होली आई होली आई ।
झूमें नाचें मौज करं सब
होली आई होली आई ।
रंग रंग में रंगे हैं सब
सबने एक पहचान पाई ।
भूल गए सब खुद को आज
होली आई होली आई ।
अबीर गुलाल उड़ा उड़ा कर
ढ़ोल बजाती टोली आई ।
अब अपने ही लगते आज
होली आई होली आई ।
दही बड़ा औ चाट पकोड़ी
खूब दबा कर हमने खाई ।
रसगुल्ले गुझिया मालपुए
होली आई होली आई ।
लाल हरा और नीला पीला
है रंगों की बहार आई ।
फागुन में रंगीनी छाई
होली आई होली आई ।
2 टिप्पणियाँ
लाल हरा और नीला पीला
जवाब देंहटाएंहै रंगों की बहार आई ।
फागुन में रंगीनी छाई
होली आई होली आई ।
होली है..............................................
होली आई ...होली आई...होली आई रे.....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता...कवि कुलवंत जी को काफी दिनो बाद पढ कर अच्छा लगा...
साहित्य शिल्पी को बधाई
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.