ख़मोशियां ही ख़मोशियां हैं, हमारे दिल में, तुम्हारे दिल में।
उदासियां ही उदासियां हैं, हमारे दिल में, तुम्हारे दिल में।।
उदासियां ही उदासियां हैं, हमारे दिल में, तुम्हारे दिल में।।
चेतन आनंद
426\S-1 शालीमार गार्डेन एक्स्टेशन .-1
साहिबाबाद , गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश )
फोन नं .:- 08586053956, 9711808485
ई मेल :- av.chetan2007@gmail.com
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हमें यक़ीं हैं गिरा ही लेंगीं, ये नफरतों के दरख़्त सारे,
दबी-दबी-सी जो आंधियां हैं, हमारे दिल में, तुम्हारे दिल में।।
ये पूरी दुनिया भी इक नदी है, चलो कि इसमें उतार दें हम,
ये जो ख़यालों की कश्तियां हैं, हमारे दिल में, तुम्हारे दिल में।।
कि अपनी सांसों को आंच दे दो, इन्हें बरफ-सी जमा न दें, ये-
घुली-घुली-सी जो सर्दियां हैं, हमारे दिल में, तुम्हारे दिल में।।
इन्हें भी थोड़ा संवार लें हम, इन्हें भी दे दें दिशा नई-सी,
नये ज़माने की बिजलियां हैं, हमारे दिल में, तुम्हारे दिल में।।
- चेतन आनंद
4 टिप्पणियाँ
ये पूरी दुनिया भी इक नदी है, चलो कि इसमें उतार दें हम,
जवाब देंहटाएंये जो ख़यालों की कश्तियां हैं, हमारे दिल में, तुम्हारे दिल में।।
वाह....
चेतन आनंद जी,
जवाब देंहटाएंआपकी "ख़मोशियां ही ख़मोशियां हैं" ये गज़ल अच्छी लगी.
धन्यवाद्
अच्छी
जवाब देंहटाएंअच्छी
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.