बड़ा बेटा रमेश सुबह ही बाबूजी के २० दिन से टूटे चश्मे की मरम्मत कराने के लिए घर से निकल पड़ा है ।
नाम - अवनीश तिवारी
सम्प्रति -
बहुराष्ट्रीय कंपनी में वरिष्ठ सॉफ्टवेयर अभियंता के पद पर कार्यरत ।
अंतरजाल पर अपनी रचनाओं और लेखन के साथ हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय ।
निवास - मुम्बई
सम्प्रति -
बहुराष्ट्रीय कंपनी में वरिष्ठ सॉफ्टवेयर अभियंता के पद पर कार्यरत ।
अंतरजाल पर अपनी रचनाओं और लेखन के साथ हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय ।
निवास - मुम्बई
छोटा बेटा दिनेश महीने भर पहले कराये बाबूजी के खून जांच की रिपोर्ट लाने जा चुका है ।
बड़ी बहु बाबूजी का मन पसंद गाजर का हलुया बनाने में लगी हुयी है तो छोटी बहु ने कल रात ही बाबूजी का ४ दिन पहले टूटा कुर्ते का बटन लगा दिया था |
इन सब बदलाव को देख , हैरान बाबूजी ने दोपहर की नींद के बाद , संध्या वंदन किया ।
अपने खून जांच की रिपोर्ट से खुश, बटन लगे कुर्ते को पहन बाबूजी ने गाजर के हलुए का स्वाद लिया ।
जब बाबूजी मरम्मत किया चश्मा लगा बाहर टहलने निकलने लगे , उनकी नज़र दिवार पर झूलते कैलेंडर पर पड़ी ।
काले बड़े अंकों में दिखते तारीख ने याद दिलाया और सहसा मुंह से निकल पड़ा - "अरे हाँ ! कल तो पेंशन तारीख है । "
दुखी , मुस्कुराते चेहरे के साथ बाबूजी निकल पड़े ।
2 टिप्पणियाँ
आज की यही सच्चाई है भाई....मतलब की दुनिया ...मतलब के लोग ....अच्छी लघुकथा
जवाब देंहटाएंअच्छी लघुकथा...बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.