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पेंशन तारीख [लघुकथा] - अवनीश तिवारी

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बड़ा बेटा रमेश सुबह ही बाबूजी के २० दिन से टूटे चश्मे की मरम्मत कराने के लिए घर से निकल पड़ा है ।



 अवनीश तिवारी रचनाकार परिचय:-






नाम - अवनीश तिवारी


सम्प्रति -

बहुराष्ट्रीय कंपनी में वरिष्ठ सॉफ्टवेयर अभियंता के पद पर कार्यरत ।

अंतरजाल पर अपनी रचनाओं और लेखन के साथ हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय ।


निवास - मुम्बई


छोटा बेटा दिनेश महीने भर पहले कराये बाबूजी के खून जांच की रिपोर्ट लाने जा चुका है ।


बड़ी बहु बाबूजी का मन पसंद गाजर का हलुया बनाने में लगी हुयी है तो छोटी बहु ने कल रात ही बाबूजी का ४ दिन पहले टूटा कुर्ते का बटन लगा दिया था |


इन सब बदलाव को देख , हैरान बाबूजी ने दोपहर की नींद के बाद , संध्या वंदन किया ।



अपने खून जांच की रिपोर्ट से खुश, बटन लगे कुर्ते को पहन बाबूजी ने गाजर के हलुए का स्वाद लिया ।


जब बाबूजी मरम्मत किया चश्मा लगा बाहर टहलने निकलने लगे , उनकी नज़र दिवार पर झूलते कैलेंडर पर पड़ी ।


काले बड़े अंकों में दिखते तारीख ने याद दिलाया और सहसा मुंह से निकल पड़ा - "अरे हाँ ! कल तो पेंशन तारीख है । "



दुखी , मुस्कुराते चेहरे के साथ बाबूजी निकल पड़े ।



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2 टिप्पणियाँ

  1. आज की यही सच्चाई है भाई....मतलब की दुनिया ...मतलब के लोग ....अच्छी लघुकथा

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