कैसी गणना , कैसा आकलन ,
क्या खोया , क्या पाया ,
उठ , आ देख बाहर,
सुनहरा बसंत आया ।
क्या खोया , क्या पाया ,
उठ , आ देख बाहर,
सुनहरा बसंत आया ।
नाम - अवनीश तिवारी
सम्प्रति -
बहुराष्ट्रीय कंपनी में वरिष्ठ सॉफ्टवेयर अभियंता के पद पर कार्यरत ।
अंतरजाल पर अपनी रचनाओं और लेखन के साथ हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय ।
निवास - मुम्बई
सम्प्रति -
बहुराष्ट्रीय कंपनी में वरिष्ठ सॉफ्टवेयर अभियंता के पद पर कार्यरत ।
अंतरजाल पर अपनी रचनाओं और लेखन के साथ हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय ।
निवास - मुम्बई
तनाव , अवसाद बन पत्ते ,
पतझड़ में झरें हैं ,
उमंग , स्फूर्ति कली बन ,
बहार में खिले हैं ,
मन - उन्नति का युग आया ,
स्वस्थ - सुन्दर बसंत आया ।
कृषि बढ़े , धंधे लगे ,
मिले सभी को रोजी रोटी ,
धरा पर हरा रंग भरा ,
लहराए धानी खेती ,
सम्पन्नता का मधुमास लाया ,
हरित - सुगन्धित बसंत आया ।
फागुन की फुआर ,
गर्मी और ठंडक का मेल,
कभी तकरार , कभी अनुराग ,
जीवन सुख - दुःख का खेल ,
खट्टा - मीठा अनुभव लाया ,
ले सीख नूतन बसंत आया ।
1 टिप्पणियाँ
तनाव , अवसाद बन पत्ते ,
जवाब देंहटाएंपतझड़ में झरें हैं ,
उमंग , स्फूर्ति कली बन ,
बहार में खिले हैं ,
क्या बात है....
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