नाम : वर्षा ठाकुर
शिक्षा: बी ई (इलेक्ट्रिकल)
पेशा: पी एस यू कंपनी में अधिकारी
मेरा ब्लौग: http://varsha-proudtobeindian.blogspot.in
तुम्हें शब्दों से प्यार है
शब्द, जो अर्थों के
मोहताज न हों
जो अपने कायदों पर चलते हों
मनमानियाँ करते हों
अर्थ अनर्थ से परे
अपना तिलिस्म रचते हों।
फिर कैसे पढ पाओगी
तुम, मेरी कविता
जिसके शब्द, भावशून्य से
व्याकरण के दायरे से बंधे
पटकथा में पिरोये
ऊँचाइयों , गहराइयों से अंजान
भेड़ बकरियों की तरह
अर्थ के पीछे चले जाते हैं
वैसे ही, जैसे मैं
सुबह काम पर जाता हूँ
सबसे छोटे रस्ते से
जिसमें न फूल हैं, न इंद्रधनुष
पर जो मुझे, मंजिल तक
पहुँचाकर दम लेता है।
तुम तुम्हारे तिलिस्म में
शब्दोँ की मनमानियाँ रचो
मैं अपने झोपड़े में
थोडा सुस्ता लेता हूँ।
1 टिप्पणियाँ
वर्षा जी ..अच्छी रचना....
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.