
उत्तर प्रदेश के जौनपुर कस्बे में जन्मे क़ैस जौनपुरी वर्तमान में मुम्बई में अवस्थित हैं।
आप विभिन्न फिल्मों, टीवी धारावाहिकों आदि से बतौर संवाद और पटकथा लेखक जुड़े रहे हैं। आपने रॊक बैंड "फिरंगीज़" के लिए गीत भी लिखे हैं। इनके लिखे नाटक "स्वामी विवेकानंद" का कई थियेटरों में मंचन भी हो चुका है।
अंतर्जाल पर सक्रिय कई पत्रिकाओं में आपकी कहानियाँ, कविताएं आदि प्रकाशित हैं।
आप विभिन्न फिल्मों, टीवी धारावाहिकों आदि से बतौर संवाद और पटकथा लेखक जुड़े रहे हैं। आपने रॊक बैंड "फिरंगीज़" के लिए गीत भी लिखे हैं। इनके लिखे नाटक "स्वामी विवेकानंद" का कई थियेटरों में मंचन भी हो चुका है।
अंतर्जाल पर सक्रिय कई पत्रिकाओं में आपकी कहानियाँ, कविताएं आदि प्रकाशित हैं।
जो हाथ में साईकिल पकड़े
मेरी आँखों के सामने खड़ी है
ये लड़की
जो इतनी ख़ूबसूरत है
कि ख़ुदा भी पछताया होगा
इसे ज़मीं पे भेजके
कि रख लिया होता इसे जन्नतुल-फ़िरदौस में ही
ये लड़की जिसकी आँखों में ज़िन्दगी की ताज़ा झलक है
ये लड़की जिसकी न जाने क्यूँ झुकती नहीं पलक है
ये लड़की जो एकटक मुझे देखे जा रही है
ये लड़की जो पता नहीं क्यूँ मुस्कुरा रही है
मैं सोचता हूँ हिम्मत करूँ
और कह दूँ
लेकिन क्या?
किस अल्फ़ाज़ से अपनी बात शुरू करूँ
क्या इसे ख़ूबसूरत कहूँ
नहीं
ख़ूबसूरत कहना ठीक न होगा
ये तो ख़ूबसूरत से कहीं बढ़के है
क्या है? मुझे नहीं पता
लेकिन कुछ है जिससे नज़र हटाने का मन नहीं करता
लेकिन ऐसे कब तक देखता रहूँगा?
कुछ तो कहना होगा
कुछ तो सुनना होगा
कि उसके मन में क्या है
अपने मन का तो मुझे पता है
क्या पता उसके मन में कुछ और हो
लेकिन क्या पता उसका मन ख़ाली हो
खुले आसमान की तरह
और वहाँ जगह ही जगह हो मेरे लिए
जहाँ मैं हरी घास पे लेट जाऊँ
और ये लड़की
मेरे सीने पे अपनी साईकिल चलाते हुए आए
और इसकी साईकिल का पहिया मेरी गर्दन के पास रुके
और फिर मैं पहिये की तीलियों के बीच से
इस नाज़ुक बला को निहारूँ
और पूछूँ
जान लेने का इरादा है क्या?
और फिर ये हँस दे
एक ऐसी हँसी जो आसमान तक गूँज जाए
जिसे फ़रिश्ते भी सुनके जलभुन जाएँ
और ख़ुदा से करें शिकायत
कि ये ठीक नहीं हुआ
जिसे हम जन्नत में देख सकते थे
वो ज़मीन पे साईकिल चला रही है
किसी और का दिल बहला रही है
मैं अपनी क़िस्मत पे इतराता हूँ
मैं सोचता हूँ काश ऐसा हो जाए
ये साईकिल वाली लड़की
अपने फेसबुक प्रोफाइल पिक्चर से बाहर आए
और मुझसे कहे
इतना ही मन हो रहा है
तो फ़्रेण्ड रिक्वेस्ट क्यूँ नहीं भेज देते?
***
4 टिप्पणियाँ
Behatarin Rachana, Aap Ki Es Kavita Ne To School Ke Din Yad Dila Diye
जवाब देंहटाएंजी, बहुत बहुत शुक्रिया।
हटाएंबहुत बढ़िया कविता... Imagination at its best क़ैस साहब ��
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया जनाब...!!!
हटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.