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कसूर [कविता]- वर्षा ठाकुर

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 वर्षा ठाकुर रचनाकार परिचय:-







नाम : वर्षा ठाकुर
शिक्षा: बी ई (इलेक्ट्रिकल)
पेशा: पी एस यू कंपनी में अधिकारी
मेरा ब्लौग: http://varsha-proudtobeindian.blogspot.in



ऊपरवाले ने
दो आँखें दी
दोनोँ पहलू दिखाने के लिये
दो कान दिये
दोनोँ पक्ष सुनाने के लिये
मैंने वही देखा सुना
जो देखना सुनना चाहा
उसने वही देखा सुना
जो देखना सुनना चाहा
एक ही बात में, एक ही तथ्य में
मुझे भलाई दिख गयी
उसे बुराई दिख गयी
मैं खुश हुआ, वो रोया
मैंने पेड़े बाँटे, उसने बारूद
खून की नदियाँ बहीं
इस ओर बहीं, उस ओर बहीं
कसूर किसका था, पता नहीं
पर कुछ साबुत बचा नहीं
कुछ साबुत बचा नहीं।




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1 टिप्पणियाँ

  1. भगवान ने सब कुछ एकदम सही बनाया हैं इन्सान सिर्फ उसका सही से इस्तिमाल करे तो.

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