नाम : सुशांत सुप्रिय ( कवि , कथाकार व अनुवादक ) जन्म : २८ मार्च , १९६८ प्रकाशित कृतियाँ : # कथा-संग्रह -- हत्यारे ( २०१० ) हे राम ( २०१२ ) # काव्य-संग्रह -- एक बूँद यह भी ( २०१४ ) ( सभी पुस्तकें नेशनल पब्लिशिंग हाउस , जयपुर से ) कविताएँ व कहानियाँ कई भाषाओं में अनूदित व पुरस्कृत । संपर्क : मो -- 8512070086 ई-मेल : sushant1968@gmail.com
जन्म-दिन की ख़ुशी में
मैंने एक पौधा लगाया
बेटा बड़ा होने लगा
पौधा भी बड़ा होने लगा
मैं बेटे से प्यार करता था
मैं पौधे से भी प्यार करता था
मैं बेटे को पाल-पोस रहा था
मैं पौधे में खाद-पानी डाल रहा था
एक दिन बेटा बड़ा हो गया
एक दिन पौधा पेड़ बन गया
फिर बेटा मुझे छोड़
अपनी राह चल दिया
पेड़ अब भी मेरे पास है
बेटा अब मुझे याद भी नहीं करता
पेड़ अब मुझे छाया और फल देता है
कभी-कभी
मुझे लगता है जैसे
पेड़ के पके हुए फलों के भीतर
कहीं मेरे पिता की सुगंध है
पेड़ की जड़ों में कहीं मेरी माँ का दूध है
आप भी पेड़ लगाइए
अपनों का सुख पाइए
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2 टिप्पणियाँ
sunder kavita, har kisi ne apne jivan me kam se kam ek ped jarur lagana chahiye.
जवाब देंहटाएंसही बात है, पेड़ हमें बिना शर्त प्यार देते हैं। सुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.