HeaderLarge

नवीनतम रचनाएं

6/recent/ticker-posts

दो ध्रुव [कविता] - डॉ महेन्द्र भटनागर

IMAGE1

बदली छायी
 डा. महेंद्र भटनागर रचनाकार परिचय:-


डा. महेंद्रभटनागर
सर्जना-भवन, 110 बलवन्तनगर, गांधी रोड, ग्वालियर -- 474 002 [म. प्र.]

फ़ोन : 0751-4092908 / मो. 98 934 09793
E-Mail : drmahendra02@gmail.com
drmahendrabh@rediffmail.com

स्पष्ट विभाजित है
जन-समुदाय -
समर्थ / असहाय।
हैं एक ओर -
भ्रष्ट राजनीतिक दल
उनके अनुयायी खल,
सुख-सुविधा-साधन-सम्पन्न
प्रसन्न।
धन-स्वर्ण से लबालब
आरामतलब / साहब और मुसाहब।
बँगले हैं / चकले हैं,
तलघर हैं / बंकर हैं,
भोग रहे हैं
जीवन की तरह-तरह की नेमत,
हैरत है, हैरत!
दूसरी तरपफ़ -
जन हैं
भूखे-प्यासे दुर्बल, अभावग्रस्त --- त्रस्त,
अनपढ़,
दलित असंगठित,
खेतों - गाँवों / बाजा़रों-नगरों में
श्रमरत,
शोषित / वंचित / शंकित!
==================

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

आइये कारवां बनायें...

~~~ साहित्य शिल्पी का पुस्तकालय निरंतर समृद्ध हो रहा है। इन्हें आप हमारी साईट से सीधे डाउनलोड कर के पढ सकते हैं ~~~~~~~

डाउनलोड करने के लिए चित्र पर क्लिक करें...