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यह सच है : दो [कविता]- सुशांत सुप्रिय

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 सुशान्त सुप्रियरचनाकार परिचय:-



नाम : सुशांत सुप्रिय ( कवि , कथाकार व अनुवादक ) जन्म : २८ मार्च , १९६८ प्रकाशित कृतियाँ : # कथा-संग्रह -- हत्यारे ( २०१० ) हे राम ( २०१२ ) # काव्य-संग्रह -- एक बूँद यह भी ( २०१४ ) ( सभी पुस्तकें नेशनल पब्लिशिंग हाउस , जयपुर से ) कविताएँ व कहानियाँ कई भाषाओं में अनूदित व पुरस्कृत । संपर्क : मो -- 8512070086 ई-मेल : sushant1968@gmail.com

जब मैं छोटा बच्चा था
तब मेरे भीतर
एक नदी बहती थी
जिसका पानी उजला
साफ़ और पारदर्शी था

उस नदी में
रंग-बिरंगी मछलियाँ
तैरती थीं

जैसे-जैसे मैं
बड़ा होता गया
मेरे भीतर बहती नदी
मैली होती चली गई

धीरे-धीरे
मैं युवा हो गया
पर मेरे भीतर बहती नदी
अब एक गंदे नाले में
बदल गई थी

उस में मौजूद
सारी मछलियाँ
मर चुकी थीं

उसका पानी अब
बदबूदार हो गया था
जिसमें केवल
बीमारी फैलाने वाले
मच्छर पनपते थे

यह दुनिया की
अधिकांश नदियों की व्यथा है
यह दुनिया के
अधिकांश लोगों की कथा है

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1 टिप्पणियाँ

  1. Bahut badhiya kavita hai......jise padhkar main khud apne andar ki nadi ki badbu mahsus kar raha hu.......kya baat hai.....Sushant ji.....Dr. Dipak Kumar, Dhule Maharashtra

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