बदली छायी

डा. महेंद्रभटनागर
सर्जना-भवन, 110 बलवन्तनगर, गांधी रोड, ग्वालियर -- 474 002 [म. प्र.]
फ़ोन : 0751-4092908 / मो. 98 934 09793
E-Mail : drmahendra02@gmail.com
drmahendrabh@rediffmail.com
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अँधेरा है, अँधेरा है,
बेहद अँधेरा है।
घुप अँधेरे ने
सारी सृष्टि को
अपने जाल में / जंजाल में
धर दबोचा है,
घेरा है।
नहीं लेकिन
तनिक भयभीत होना है,
हार कर मन में
पल एक निष्क्रिय बन
न सोना है।
तय है-
कुछ क्षणों में
रोशनी की जीत होना है।
आओ
रोशनी के गीत गाएँ।
सघन काली अमावस है
पर्व दीपों का मनाएँ।
तम घटेगा
तम छँटेगा
तम हटेगा।
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3 टिप्पणियाँ
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसार्थक संदेश..छिपा है रचना में...
जवाब देंहटाएंसार्थक संदेश..छिपा है रचना में...
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.