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चाहता हूँ [गज़ल] - प्रखर मालवीय

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प्रखर मालवीयरचनाकार परिचय:-


प्रखर मालवीय
जन्म स्थान- आज़मगढ़ (उत्तरप्रदेश)
शिक्षा- प्रारंभिक शिक्षा आजमगढ़ से हुई। बरेली कॉलेज बरेली से B.COM और शिब्ली नेशनल कॉलेज, आजमगढ़ से M.COM की डिग्री हासिल की। वर्तमान में CA की ट्रेनिंग नॉएडा से कर रहे हैं।
प्रकाशन- अमर उजाला, हिंदुस्तान, हिमतरू, गृहलक्ष्मी, कादम्बनी इत्यादि पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।
'दस्तक' और 'ग़ज़ल के फलक पर' नाम से दो साझा ग़ज़ल संकलन भी प्रकाशित हो चुके हैं।
संपर्क- चौबे बरोही, रसूलपुर नन्दलाल, आजमगढ़ (उत्तरप्रदेश)
वर्तमान निवास- दिल्ली





ख़ला को छू के आना चाहता हूँ
मैं ख़ुद को आज़माना चाहता हूँ


मेरी ख़्वाहिश तुझे पाना नहीं है
ज़रा सा हक़ जताना चाहता हूँ


तुझे ये जान कर हैरत तो होगी
मैं अब भी मुस्कुराना चाहता हूँ


तेरे हंसने की इक आवाज़ सुन कर
तेरी महफ़िल में आना चाहता हूँ


मेरी ख़ामोशियों की बात सुन लो
ख़मोशी से बताना चाहता हूँ



बहुत तब्दीलियाँ करनी हैं ख़ुद में
नया किरदार पाना चाहता हूँ




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