प्राण शर्मा वरिष्ठ लेखक और प्रसिद्ध शायर हैं और इन दिनों ब्रिटेन में अवस्थित हैं। आप ग़ज़ल के जाने मानें उस्तादों में गिने जाते हैं। आप के "गज़ल कहता हूँ' और 'सुराही' काव्य संग्रह प्रकाशित हैं, साथ ही साथ अंतर्जाल पर भी आप सक्रिय हैं।
कुछ सालों से देश में कई बम विस्फोट हुए हैं। उन बम विस्फोटों से हज़ारों ही लोगों को घायल होना पड़ा है और सैंकड़ों को जान से हाथ धोना पड़ा है। हर धमाके से लोगों के दहलते और पसीजते रहे हैं। उन आतंकी हमलों की देश भर में निंदा की जाती रही है लेकिन मेरा एक दोस्त है, उसके मुँह से भर्त्सना का एक शब्द नहीं निकला । बम विस्फोटों से न उसका दिल दहला और न ही पसीजा । पत्थर दिल बना उसने हमेशा यही कहा - " ऐसे बम धमाके होते ही रहते हैं। जब से दुनिया बनी है तब से यही हो रहा है।
उन्हें भूल जाना और मस्त रहना ही भला है। "
आज हमारे शहर में दो - तीन बम धमाके हुए हैं। कई मरे हैं और कई घायल हुए हैं। घायल लोगों में मेरे दोस्त का बेटा भी है। उसके शरीर पर चंद खरोंचें ही आयी हैं लेकिन
मेरा दोस्त रो - रो कर बेहाल हो रहा है और गला फाड़ - फाड़ कर आतंकियों की भर्त्सना कर रहा है।
3 टिप्पणियाँ
पत्थर दिल वालों को किसी की चीखे क्या सुनायी देंगी
जवाब देंहटाएंthat’s real story everyone like this .
जवाब देंहटाएंdukhad!
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.