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पाचवा अध्याय समाप्त [व्यंग्य]- राजेश भंडारी “बाबु”

रचनाकाररचनाकार परिचय:-

राजेश भंडारी “बाबु”
१०४ महावीर नगर इंदौर
९००९५०२७३४
हम बचपन से ही एक कथा सुनते आ रहे हे जिसमे लीलावती और कलावति का नाम हर महीने सुनने को मिलता था , जब भी ख़ुशी की कोई बात होती तो झट से सतनारायण भगवन की कथा गाव के गोरजी की पक्की | समय के साथ साथ अब इस कथा का चलन कम हो गया पर आज भी मेरे जेसे लोग इसको पड़ते हे |
लीलवती और कलावती की पति और जमाई व्यापार के लिए जाते हे और खूब व्यापार में कमा कर आते हे तो भगवान उनका इम्तिहान लेने के लिए उनसे साधु रूप में
मिलते हे और पूछते हे की आपकी नाव खूब भरी हुई हे इसमें क्या भारा हे | वे लोग सोचते हे की ये साथु दान मागने के लिए पूछ रहा हे सो घमंड से बोल देते हे की हमारी नाव में तो लता पत्र भरे हुवे हे भगवन साथु रूप में उनकी बात सुन कर उन्हें कहते हे की "तथास्तु " तुम्हारी वाणी सत्य हो और दुर जा कर बेठ जाते हे | ये कथा आज भी सास्वत सत्य हो रही हे |सरकार आज भी आपसे यही पूछ रही हे की आपके पास पुरानी करंसी कितनी हे बता दो और कहा से आई ये भी बता दो |अब अगर आप ये बोलो की कुछ भी नहीं तो सरकार भी तथास्तु बोलने के मुड में आ चुकी हे |

एक किसान ने खेत पर कथा करवाई और ब्राम्हण ने भी अपने बेटे को ट्रेनिंग के बतोर कथा करने भेज दिया | उसने कथा बाची और दो अध्याय भूल भूल गया | बाद में किसान की बीबी बोली की इसमें लीलावती कलावती की कथा तो आई ही नहीं सो पंडित को बुलाया ,वो बोला भाई लीलावती कलावती खेत पे केसे आवेगी सो दोनों आपस में समज गए और काम ख़त्म |

अब सरकार विरोधी और धन कुबेर भी तरह तरह की कथा कर रहे हे अपन से सो गुणा जादा बुद्धि वाले नेता भी तरह तरह से जनता को गुमराह कर रहे हे | एक भिया जो ५ साल से काले धन के विरोध में आन्दोलन करके नेता बने हे वो भी नोटबंदी के खिलाफ हो गए हे | अपने गुरु को पीछे करके राजनीति में आने वाले झूट पे झूट बोल रहे हे | एक मेडम ने तो तिन दिन का अल्टीमेटम दे दिया हे और खुलेआम बगावत का बिगुल बजा दिया हे | जब उनके पास कुछ नहीं हे तो क्यों इतना फडफडा रहे हे | कहते हे की बुझने के पहले दिए इसी तरह फड़फडाते हे कही ये दिए बुझने वाले तो नहीं |जो लोग पुरे महीने बिजली,राशन,घासलेट,बिजली बिल , टेलेफोन बिल, पेट्रोल,रेल ,यहाँ तक की लेट्रिन और न जाने कोन कोन सी लाइन में लगते थे वो चार दिन बैंक की लाइन में लगने में बड़ा भारी जुर्म बता रहे हे |
सो मेरा तो ये कहना हे की सत्य नारायण की कथा का ये आखरी पाचवा अद्यया हे और अब परसाद बटने की तय्यारी हे और सब का भला इसी में हे की इसमें अपनी आहुति दो और अपने परिवार के साथ सुख से जीवन बिताओ नहीं तो सरकार आपको तथास्तु बोलने में देर नहीं करेगी | आगे आपकी मर्जी |

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