HeaderLarge

नवीनतम रचनाएं

6/recent/ticker-posts

नहीं है [गज़ल] - प्रखर मालवीय

IMAGE1


प्रखर मालवीयरचनाकार परिचय:-


प्रखर मालवीय
जन्म स्थान- आज़मगढ़ (उत्तरप्रदेश)
शिक्षा- प्रारंभिक शिक्षा आजमगढ़ से हुई। बरेली कॉलेज बरेली से B.COM और शिब्ली नेशनल कॉलेज, आजमगढ़ से M.COM की डिग्री हासिल की। वर्तमान में CA की ट्रेनिंग नॉएडा से कर रहे हैं।
प्रकाशन- अमर उजाला, हिंदुस्तान, हिमतरू, गृहलक्ष्मी, कादम्बनी इत्यादि पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।
'दस्तक' और 'ग़ज़ल के फलक पर' नाम से दो साझा ग़ज़ल संकलन भी प्रकाशित हो चुके हैं।
संपर्क- चौबे बरोही, रसूलपुर नन्दलाल, आजमगढ़ (उत्तरप्रदेश)
वर्तमान निवास- दिल्ली





सितम देखो कि जो खोटा नहीं है
चलन में बस वही सिक्का नहीं है


नमक ज़ख्मों पे अब मलता नहीं है
ये लगता है वो अब मेरा नहीं है


यहाँ पर सिलसिला है आंसुओं का
दिया घर में मिरे बुझता नहीं है


यही रिश्ता हमें जोड़े हुए है
कि दोनों का कोई अपना नहीं है


नये दिन में नये किरदार में हूँ
मिरा अपना कोई चेहरा नहीं है


मिरी क्या आरज़ू है क्या बताऊँ?
मिरा दिल मुझपे भी खुलता नहीं है


कभी हाथी, कभी घोड़ा बना मैं
खिलौने बिन मिरा बच्चा नहीं है


मिरे हाथोँ के ज़ख्मों की बदौलत
तिरी राहों में इक काँटा नहीं है


सफ़र में साथ हो.. गुज़रा ज़माना
थकन का फिर पता चलता नहीं है


मुझे शक है तिरी मौजूदगी पर
तू दिल में है मिरे अब या नहीं है


तिरी यादों को मैं इग्नोर कर दूँ
मगर ये दिल मिरी सुनता नहीं है


ग़ज़ल की फ़स्ल हो हर बार अच्छी
ये अब हर बार तो होना नहीं है


ज़रा सा वक़्त दो रिश्ते को ‘कान्हा’
ये धागा तो बहुत उलझा नहीं है






एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.

आइये कारवां बनायें...

~~~ साहित्य शिल्पी का पुस्तकालय निरंतर समृद्ध हो रहा है। इन्हें आप हमारी साईट से सीधे डाउनलोड कर के पढ सकते हैं ~~~~~~~

डाउनलोड करने के लिए चित्र पर क्लिक करें...