प्राण शर्मा वरिष्ठ लेखक और प्रसिद्ध शायर हैं और इन दिनों ब्रिटेन में अवस्थित हैं। आप ग़ज़ल के जाने मानें उस्तादों में गिने जाते हैं। आप के "गज़ल कहता हूँ' और 'सुराही' काव्य संग्रह प्रकाशित हैं, साथ ही साथ अंतर्जाल पर भी आप सक्रिय हैं।
गोपीनाथ से लन्दन जाने वाली कोच छूट गयी थी। एक ड्राइवर ने बड़ी शिष्टता से उसको अगली कोच का समय बताया। गोपीनाथ को लगा कि उसने इस ड्राइवर को पहले भी कहीं देखा था। उसने अपने भेजे पर ज़ोर दिया। याद आते ही उसने बड़े प्यार से पूछा "भाई साहब, आपने क्या भारत में पंजाब रोडवेज़ में भी काम किया था?"
"जी, हाँ। मैं पंजाब रोडवेज़ में बस कंडक्टर था।"
"क्या आपको याद है कि पाँच साल पहले एक यात्री से दिल्ली जाने वाली बस छूट गयी थी, उसने आपसे अगली बस के टाइम के बारे में पूछा था। आपने उसको ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर तक घूरते बड़ी बेरुखी से कहा था, "पढ़ा - लिखा लगता है, वो सामने बोर्ड पर टाइम लिखा है, जा कर पढ़ ले।"
"वो भारत की बात भारत में ही रहने दें, ये इंग्लैण्ड है माई ब्रोदर!"
1 टिप्पणियाँ
Greate article
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