
गिरिजा अरोड़ा
परिचयः मेरी जन्म तिथि 24.9.71 है। मेरा लालन पालन देहरादून में संपन्न हुआ एवं प्रारंभिक शिक्षा, स्नातक, स्नाकोत्तर शिक्षा भी देहरादून में ही प्राप्त हुई। मुझे आई.आई,टी रूड़की से एम.फिल(मैथ्स) करने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ। हिन्दी प्रेम ने स्वतः मेरा रूझान कविता की तरफ कर दिया एवं मैं कई कवि सम्मेलन में मंच तक पहुँच कर स्वयं को सौभाग्यशाली समझती हूँ। हिंदी की कई प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं में मेरी कविताएं प्रकाशित हो चुकी हैं।
संप्रतिः देहादून में रहकर कार्यरत
परिचयः मेरी जन्म तिथि 24.9.71 है। मेरा लालन पालन देहरादून में संपन्न हुआ एवं प्रारंभिक शिक्षा, स्नातक, स्नाकोत्तर शिक्षा भी देहरादून में ही प्राप्त हुई। मुझे आई.आई,टी रूड़की से एम.फिल(मैथ्स) करने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ। हिन्दी प्रेम ने स्वतः मेरा रूझान कविता की तरफ कर दिया एवं मैं कई कवि सम्मेलन में मंच तक पहुँच कर स्वयं को सौभाग्यशाली समझती हूँ। हिंदी की कई प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं में मेरी कविताएं प्रकाशित हो चुकी हैं।
संप्रतिः देहादून में रहकर कार्यरत
कि आएगा हँसने का मौसम
फूलों को देख लिया काँटों पर सोते
और काली रात में ओंस पिरोते
समझ गए दिखता है कैसे
खिला खिला उपवन
ये सोच कर सह लिया गम
बन गया पानी अमृत
जब कंठ प्यासा तरसा
चिलचिलाती धूप बता गई
बादल क्यों बरसा
अच्छा! धरती पर मिला तभी
हरा भरा जीवन
ये सोच कर सह लिया गम
दर्द ने विरह के बताया
मिलना किसको कहते हैं
दिन भर की मेहनत कह गई
थककर कैसे सोते हैं
सपनों को पूरा करते
होता नूतन मानव का मन
ये सोच कर सह लिया गम
बार बार की हार बता गई
क्या होती है जीत
खुद जल कर देती रोशनी
लौ से भी ली सीख
रात के बाद ही आता है
दिन इतना उज्जवल
ये सोच कर सह लिया गम
2 टिप्पणियाँ
Bahut badhiya aur meaningful poem mam
जवाब देंहटाएंThanks. Your comments really mean a lot to me
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