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रीढ़ [कविता] - गिरिजा अरोड़ा

रचनाकाररचनाकार परिचय:-

गिरिजा अरोड़ा
परिचयः मेरी जन्म तिथि 24.9.71 है। मेरा लालन पालन देहरादून में संपन्न हुआ एवं प्रारंभिक शिक्षा, स्नातक, स्नाकोत्तर शिक्षा भी देहरादून में ही प्राप्त हुई। मुझे आई.आई,टी रूड़की से एम.फिल(मैथ्स) करने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ। हिन्दी प्रेम ने स्वतः मेरा रूझान कविता की तरफ कर दिया एवं मैं कई कवि सम्मेलन में मंच तक पहुँच कर स्वयं को सौभाग्यशाली समझती हूँ। हिंदी की कई प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं में मेरी कविताएं प्रकाशित हो चुकी हैं।
संप्रतिः देहादून में रहकर कार्यरत
एक ही बीज में रहते थे
पल्लव और जड़
कुछ ही दिन का पोषण था
उनके पास मगर

कुछ मजबूरी, कुछ जिज्ञासा
दोनों के थी अंतर
सहमति से तोड़ा
उन्होंने सुरक्षा कवच

जड़ जड़ गई धरती में
संभाला धरातल
रंग बिरंगी दुनिया देखने
बाहर आया पल्लव

एक मूक अनुबन्ध से
जुड़ा उनका जीवन

तना और पत्ते
जब तक देते रहेंगे हवा, धूप, पानी
और जड़ देती रहेगी खाद
वृक्ष खड़ा रहेगा
सीधी रीढ़ के साथ





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