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तुम में ही डूबी रहना चाहती हूँ [कविता] -रितु रंजन प्रसाद



रचनाकार परिचय:-


रितु रंजन का जन्म 1.071980 को भागलपुर(बिहार)में हुआ। 

लेखन आपकी अभिरुचि है। घर के साहित्यिक माहौल नें आपको लिखने के लिये प्रेरित किया। 

अब ब्ळोगजगत में सक्रिय हैं।

तुम में ही डूबी रहना चाहती हूँ, बस कैसे भी
सागर के लिये नदी की चाह बरबस, कैसे भी।
तुम्हें ही देखना, तुम्हें ही चाहना,
तुम्हें ही सोचते रहना चाहती हूँ मैं,
स्वयं को भूल-भाल कर बस, कैसे भी।

पास रहो तुम मेरे बस ऐसे ही
जैसे चंदा के लिये अम्बर बिखर कर
फैलता है छोर से इस, छोर तक उस
इसीतरह तुम मत पूछो क्यों मेरे, बस ऐसे ही
तुम में ही डूबी रहना चाहती हूँ, बस कैसे भी।

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