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अन्तर्ध्वन्सक [कविता] - डॉ महेन्द्र भटनागर

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 डा. महेंद्र भटनागर रचनाकार परिचय:-


डा. महेंद्रभटनागर
सर्जना-भवन, 110 बलवन्तनगर, गांधी रोड, ग्वालियर -- 474 002 [म. प्र.]

फ़ोन : 0751-4092908 / मो. 98 934 09793
E-Mail : drmahendra02@gmail.com
drmahendrabh@rediffmail.com



कौन है,
वह कौन है?
जो -
हमारे स्वप्नों में
ख़लल डालता है,
हमारे
बनाये-सजाये
चित्रें को विकृत कर
बदल डालता है,
उनकी विराटता को
बौना कर देता है,
उनकी उन्मुक्तता में
कुण्ठा भर देता है।
वह कौन है?
वह दुस्साहसी कौन है?
जो -
हर संगत लकीर को
जगह-जगह से तोड़ कर
असंगत लिबास पहना देता है,
परिवेश की अर्थवत्ता छीन कर
अनर्गल वैशिष्ट्य से गहना देता है।
सही परिप्रेक्ष्य से
विस्थापित कर
हास्यास्पद भूमिकाओं की
चितकबरी प्लास्टर झड़ी
दीवारों पर
उल्टा टाँग देता है।
हमारे विश्वासों की
जीवन्त प्रतिमाओं को
खण्डित कर
कोलतारी स्वाँग देता है।
यह
किसका अट्टहास है?
चारों ओर लहराते
नागफाँस हैं।
पर, सावधान।
मैं
इतिहास को दोहराने नहीं दूँगा,
आतताइयों को
निरीह लाशों को रौंदते
विजय-गान गाने नहीं दूँगा।
इन स्वप्नों की
इन चित्रें की
गत्यात्मकता,
अनुभूत-सिद्ध वास्तविकता
दूर-पास फैले
असंख्य-अदृश्य
भेदियों के जालों को
तोड़ेगी,
मानव-मानव के बीच
पहली बार
सच्चा रिश्ता जोड़ेगी।





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