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इस शहर में [गज़ल]- कवि दीपक शर्मा

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 कवि दीपक शर्मा रचनाकार परिचय:-



कवि दीपक शर्मा
चंदौसी, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
मोबाईल: ९९७१६९३१३१ ई मेल- deepakshandiliya@gmail.com,kavyadharateam@gmail.com

1.

सामने कुछ पीछे कुछ और कहा करते हैं
इस शहर में बहुरूपिये रहा करते हैं ।


किसी तरह बस अपना भला हो जाए
इसी वजह लोग औरों का बुरा करते हैं ।


जिनके बस में नहीं होता बुलंदियाँ छुना
फिकरे औरों की फ़तह पर वो कसा करते हैं ।


ठोकर मत मार इन्हें ये अंधेरों में याद आयेंगे
सूरज छिप जाता है तो चिराग़ जला करते हैं ।


रौशनी जितना दबाओगे और बाहर आएगी
कहीं हाथों के घेरों से समंदर रुका करते हैं ।


खातिर अपनों के मत छीन ग़ैर बच्चों की खुशी
हर बच्चे के भीतर भगवान् बसा करतें हैं ।


एक अज़ब सा रिवाज़ है इस शहर में "दीपक"
लोग नशे से दवा , दवाओं से नशा करते हैं ।

कवि दीपक शर्मा
सर्वाधिकार @कवि दीपक शर्मा

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