प्राण शर्मा वरिष्ठ लेखक और प्रसिद्ध शायर हैं और इन दिनों ब्रिटेन में अवस्थित हैं। आप ग़ज़ल के जाने मानें उस्तादों में गिने जाते हैं। आप के "गज़ल कहता हूँ' और 'सुराही' काव्य संग्रह प्रकाशित हैं, साथ ही साथ अंतर्जाल पर भी आप सक्रिय हैं।
फसलां दी कटाई है
गिद्धा पा कुड़िये
बैसाखी आई है
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मुंडिया तू गाके विखा
गिद्धा पावांगी
पहले तू भंगड़ा पा
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भावें मैं हाँ लंगड़ा
डुल-डुल जावेंगी
ले,वेख मेरा भंगड़ा
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मस्ती विच बस्ती है
वाह री बैसाखी
बस्ती विच मस्ती है
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ठंडा - ठंडा जल हो
बैसाखी दा हर
सोहणा-सोहणा पल हो
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हो चानण ही चानण
अज दे शुभ दिन ते
लोकी खुशियां मानण
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नित-नित बैसाखी हो
देस बणे निरभय
लोकां दी राखी हो
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