श्वेता सिंह चौहान
सम्प्रति-अध्यापन और लेखन
प्रतिलिपी और हिंदीकुंज में अबतक 25 से ज्यादा कहानियाँ और कविताएँ प्रकाशित हो चुकी हैं।
ई मेल- shwetasinghchauhan379@gmail.com
सम्प्रति-अध्यापन और लेखन
प्रतिलिपी और हिंदीकुंज में अबतक 25 से ज्यादा कहानियाँ और कविताएँ प्रकाशित हो चुकी हैं।
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निशान अपनी उम्र का
मेरे बालों की सफेदी से
नहीं है मुझे कोई परेशानी
क्या फकॅ पड़ता है अगर मैं
दिखने लगू बूढ़ी
चाहे झुक जाए मेरी कमर
टूट जाए मेरे सब दाँत
मेरी ऑखों की रोशनी खो जाए
मेरी यादाश्त गुम हो जाए
भूल जाउ मै सारी दुनिया
तुम्हारा प्रेम मेरा रक्षक है
तुम्हारा होना रब का होना!
जैसे जीने के लिए जरूरी साँसें
मेरे लिए तेरा प्रेम है ऐसा
फिर भी मुझे यकीन है ऐसा
मेरे लिए प्रेम तुम्हारा
रहेगा पहले दिन के जैसा
2 टिप्पणियाँ
वाह
जवाब देंहटाएंThanks
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.