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उड़ता हुआ [ग़ज़ल] - प्राण शर्मा

प्राण शर्मा रचनाकार परिचय:-

प्राण शर्मा वरिष्ठ लेखक और प्रसिद्ध शायर हैं और इन दिनों ब्रिटेन में अवस्थित हैं। आप ग़ज़ल के जाने मानें उस्तादों में गिने जाते हैं। आप के "गज़ल कहता हूँ' और 'सुराही' काव्य संग्रह प्रकाशित हैं, साथ ही साथ अंतर्जाल पर भी आप सक्रिय हैं।


जब किसीसे जब कभी झगड़ा हुआ
मेरा दिल भी दोस्तो खट्टा हुआ
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गीला तो हो जाएगा वो पल में ही
कपडा कब बारिश से है उजला हुआ
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हर किसी ने हर तरह परखा उसे
भारी पलड़ा ही दिखा झुकता हुआ
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क्या क़यामत है कि बढ़ती उम्र में
आदमी को देखा है ढलता हुआ
+
साफ़ पानी बरसा था आकाश से
नाले से मिलते ही उफ़ मैला हुआ
+
कब तुम्हे भी दोस्तो अच्छा लगा
आदमी हर वक़्त ही रोता हुआ
+
बंद पिंजरे में करो उसको नहीं
पंछी प्यारा लगता है उड़ता हुआ

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