अमेरिका से हिंदुस्तान के लिए एक विमान ने उड़ान भरी। एक जिज्ञासु बच्चा अपने पिता के साथ बैठा था।

१. पूरा नाम : महावीर उत्तरांचली
२. उपनाम : "उत्तरांचली"
३. २४ जुलाई १९७१
४. जन्मस्थान : दिल्ली
५. (1.) आग का दरिया (ग़ज़ल संग्रह, २००९) अमृत प्रकाशन से। (2.) तीन पीढ़ियां : तीन कथाकार (कथा संग्रह में प्रेमचंद, मोहन राकेश और महावीर उत्तरांचली की ४ — ४ कहानियां; संपादक : सुरंजन, २००७) मगध प्रकाशन से। (3.) आग यह बदलाव की (ग़ज़ल संग्रह, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से। (4.) मन में नाचे मोर है (जनक छंद, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से।
२. उपनाम : "उत्तरांचली"
३. २४ जुलाई १९७१
४. जन्मस्थान : दिल्ली
५. (1.) आग का दरिया (ग़ज़ल संग्रह, २००९) अमृत प्रकाशन से। (2.) तीन पीढ़ियां : तीन कथाकार (कथा संग्रह में प्रेमचंद, मोहन राकेश और महावीर उत्तरांचली की ४ — ४ कहानियां; संपादक : सुरंजन, २००७) मगध प्रकाशन से। (3.) आग यह बदलाव की (ग़ज़ल संग्रह, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से। (4.) मन में नाचे मोर है (जनक छंद, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से।
"पापा, अब हमारा विमान कौन से देश के ऊपर उड़ रहा है?"
"इंग्लेंड ..."
"यहाँ के लोग क्रिसमस मनाते हैं क्या?"
"हाँ बेटा, यह ईसाई मुल्क है। यहाँ सिर्फ़ क्रिसमस ही मनाई जाती है। यूरोप और अमेरिका के अधिकांश देश क्रिसमस ही मनाते हैं।"
"पापा, अब हम कहाँ हैं?" कुछ समय गुज़र जाने के बाद बच्चे ने पुन: प्रश्न किया।
"अब हमारा विमान सऊदी अरब के ऊपर से उड़ रहा है।"
"क्या यहाँ भी क्रिसमस मनाते हैं?"
"नहीं बेटा, यहाँ से पाकिस्तान तक कई मुस्लिम राष्ट्र हैं। यहाँ सिर्फ़ ईद मनाई जाती है।"
"और अब हम कहाँ हैं?" कुछ और समय बीतने के उपरांत बच्चे का वही प्रश्न।
"अब हमारा विमान हिन्दुस्तान में दाख़िल हो चुका है। अब दिल्ली दूर नहीं। हम मंज़िल के क़रीब पहुँचने ही वाले हैं।"
"पापा, यहाँ के लोग क्रिसमस मनाते हैं क्या?" वही प्रश्न।
"हाँ बेटा, यहाँ सभी धर्मों के त्यौहार मनाये जाते हैं। यहाँ ईसाई क्रिसमस मनाते हैं। यहाँ मुसलमान ईद मनाते हैं। यहाँ हिन्दू दिवाली, होली, दशहरा आदि मानते हैं। यहाँ बौद्ध धर्म वाले बुद्ध पूर्णिमा, जैन धर्म वाले महावीर जयंती मनाते हैं तो सिख समुदाय गुरु पर्व मनाते हैं और पारसी भी अपना त्यौहार मनाते हैं।"
"वाह पापा वाह! इतने सारे त्यौहार! वो भी एक देश में एक ही जगह ... मज़ा आ गया।" बच्चे ने पूरे सफ़र में पहली बार खुश होकर तालियाँ बजाई। अगल-बगल में बैठे अन्य यात्री भी बच्चे की ख़ुशी में शामिल होकर तालियाँ बजा रहे थे।
1 टिप्पणियाँ
अपना भारत महान । निर्बोध बालक समझता है बडे नहीँ समझते ।
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.