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कुछ गज़लें [गज़ल] - दीपक शर्मा 'दीप'

रचनाकाररचनाकार परिचय:-

नाम - दीपक शर्मा
उपनाम – दीप
जन्म – १३ अक्टूबर १९८९
ग्राम व पोस्ट - कनकपुर
पिंडरा – २२१२०६
वाराणसी ( उत्तर प्रदेश )
शिक्षा – प्रारंभिक शिक्षा कनकपुर के प्राथमिक विद्यालय से तदोपरांत मध्य प्रदेश में निवास एवं उच्च शिक्षा अभियांत्रिकी स्नातक ( वैद्युतिकीय एवं संचार ) भोपाल से संपन्न I
प्रकाशन – दैनिक भास्कर जबलपुर से निरंतर रचनाओं का प्रकाशन , ‘विभोम स्वर’ , दृष्टिपात , हस्ताक्षर ( वेब पत्रिका ) में रचनाएं प्रकाशित , कविता कोश में रचनाओं को स्थान
वर्तमान निवास –
मकान संख्या – ३४३
पेप्टेक सिटी
पन्ना रोड
ग्राम – सोहावल
सतना ( मध्य प्रदेश )
पिन – ४८५४४१
संपर्क- ९५४०७४९१६६
८.

ज़िन्दगी , शराब की दुकान पे चली गई
कशमकश उठी-चली,उड़ान पे चली गई I

हाय..बा-दिली कहाँ लुढ़क रही है बेसबब
देखते हैं आज किस ढलान पे चली गई I

नफ़रतों का कारवाँ बढ़ा तो और बढ़ गया
रस्मो-राहियत अभी गठान पे चली गई I

एक ही मिली कोई सुकून जिसके पास था
और कम्बख़त वो आसमान पे चली गई I

दोज़खी से राब्ता कोई नहीं था ‘दीप’ जी !
क्या बताएँ ज़हनियत गुमान पे चली गई I

९.
अज़ब लिख रहे हैं गज़ब लिख रहे हैं
हमारे मोहल्ले में, सब लिख रहे हैं

अभी बे-अदब की ही तूती है ज्यादा
अमाँ! आप बैठे अदब लिख रहे हैं

ये बलवा सियासत की शह पे हुआ है
वे मछली फँसाकर सबब लिख रहे हैं

पड़ोसन की ऐसी कढ़ाही है साहिब!
लगती गमकने है, जब लिख रहे हैं

इधर से, उधर से, यहाँ से, वहाँ से
मिले 'दीप' धक्के तो अब लिख रहे हैं
10.
मुट्ठी में दो-चार नहीं
कोई तेरा यार नहीं

यूँ ही गले लगाएगा
ऐसा तो संसार नहीं

सच्ची बातें लिखता हो
कोई भी अखबार नहीं

कहता हूँ सो करता हूँ
भाई! मैं सरकार नहीं

अपनी राह बनाओ ख़ुद
यूँ तो,बेड़ा पार नहीं

पूछ-पूछ कर मारेंगे
कहो दो मैं बीमार नहीं

चलो तवायफ़ ग़ाफ़िल है
हम तो इज़्ज़तदार नहीं

माना कि बेकार हैं 'दीप'
इतने भी बेकार नहीं I





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