रचनाकार परिचय:-
सुनीता काम्बोज
जन्म : 10 अगस्त 1977 ब्याना , जिला -करनाल (हरियाणा) भारत ।
विधा : ग़ज़ल , छंद ,गीत,हाइकु ,बाल गीत ,भजन एवं हरयाणवी भाषा में ग़ज़ल व गीत ।
शिक्षा : हिन्दी और इतिहास में परास्नातक ।
प्रकाशन :अनभूति काव्य संग्रह
ब्लॉग : मन के मोती ।
पत्र पत्रिकाओं व ब्लॉग पर प्रकाशन : राष्ट्रीय ,एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में निरंतर कविताओं और ग़ज़लों का प्रकाशन , उदंती , पंखुड़ी,गर्भनाल ,सहज साहित्य ,त्रिवेणी ,रचनाकार , हिंदी हाइकु ,बेब दुनिया,अभिनव इमरोज ,सरस्वती सुमन, हरिगंधा(हरियाणा साहित्य अकादमी ) , बाल किलकारी (बिहार साहित्य अकादमी ) इंदु संचेतना (चीन ) अम्स्टेल गंगा (नीदरलैंड ) ,हिंदी चेतना (कनाडा ) सेतू (अमेरिका )आदि
प्रस्तुति :डी -डी दूरदर्शन पंजाबी एवं अन्य हिंदी कवि दरबार में कविता पाठ ।
ईमेल -Sunitakamboj31@gmail.com
adress - 72, ADAN BAGH EXTENTION DAYAL BAGH AGRA 282005 (U.P)
blog- deepti09sharma.blogspot.com
माहिया
1.
भर दिल में पीर गई
तेरी दो बातें
इस दिल को चीर गई।
2.
कैसी कंगाली है
बजता ढोल यहाँ
अंदर से खाली है ।
3.
जीवन कव्वाली है
बजती जाती ये
सुख-दुख की ताली है ।
4.
कुछ तो डर जाते हैं
पर चलने वाले
इतिहास बनाते हैं ।
5.
सजदा कर आई हूँ
सूनी आँखों में
आशा भर आई हूँ।
6.
कोशिश बेकार गई
जीती शैतानी
मानवता हार गई।
7.
तेवर दिखलाती हैं
लहरें नौका को
अब डर दिखलाती हैं ।
8.
चलने की तैयारी
आज चली हूँ मैं
कल है तेरी बारी ।
9.
हर बार बड़ी कर दी
उसने नफरत की
दीवार खड़ी कर दी ।
10.
सबको पहचान लिया
छोटे जीवन में
कितना कुछ जान लिया ।
11
जग ताने कसता है
प्यार तुम्हारा इन
गीतों में बसता है ।
12.
अब सेठ सताता है
फसलें डूब रही
वो ब्याज बढ़ाता है ।
13.
हर बार यही निकला
जीवन माटी सा
बस सार यही निकला
14.
हर ओर विवशता है
गूंगा अब देखो
बहरे पर हँसता है
15
जो कल थे मडराते
आज मुसीबत में
वो पास नहीं आते।
-०-
2 टिप्पणियाँ
जग ताने कसता है
जवाब देंहटाएंप्यार तुम्हारा इन
गीतों में बसता है ।
सभी माहिया मधुर - सरस । कवयित्री सुनीता काम्बोज जी को बधाई ।
हार्दिक आभार दीदी ,सादर नमन🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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