रचनाकार परिचय:-
ध्रुव सिंह "एकलव्य"
उपनाम : 'एकलव्य' ( साहित्य में )
जन्मस्थान : वाराणसी 'काशी'
शिक्षा : विज्ञान में परास्नातक उपाधि
सम्प्रति : कोशिका विज्ञान(आनुवांशिकी ) में तकनीकी पद पर कार्यरत ( संजय गाँधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान ) लख़नऊ ,उत्तर प्रदेश ,भारत
साहित्य क्षेत्र : वर्तमान में kalprerana.blogspot.com नाम से ब्लॉग का संचालन एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में हिंदी कवितायें प्रकाशित।
'अक्षय गौरव' पत्रिका में लेखक
E mail: dhruvsinghvns@gmail.com
उपनाम : 'एकलव्य' ( साहित्य में )
जन्मस्थान : वाराणसी 'काशी'
शिक्षा : विज्ञान में परास्नातक उपाधि
सम्प्रति : कोशिका विज्ञान(आनुवांशिकी ) में तकनीकी पद पर कार्यरत ( संजय गाँधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान ) लख़नऊ ,उत्तर प्रदेश ,भारत
साहित्य क्षेत्र : वर्तमान में kalprerana.blogspot.com नाम से ब्लॉग का संचालन एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में हिंदी कवितायें प्रकाशित।
'अक्षय गौरव' पत्रिका में लेखक
E mail: dhruvsinghvns@gmail.com
मत पूछ !
हृदय में चिंगारियाँ
सुलगती हुईं
फूसों की वो क्यारियाँ
विध्वंस मचाती
क्षुधा पेट की
तिल-तिल बढ़तीं
दुष्वारियां।
मत पूछ !
खेत-खलिहान
रोटी-कपड़ा और मकान
रोते ! बच्चे मेरे,अर्धांगिनी मेरी
मुंशी जी के सवा शेर गेहूँ
वही लाला की दुकान।
मत पूछ !
धनवानों के भरे गोदाम
आँगन हमारे सूनसान
धुन बजते चौबारे उनके
हम जाते हैं,क़ब्रिस्तान।
मत पूछ !
रातों को थे चैन से सोये
नींद स्वयं के हमनें खोये
सुबह हुई है,आज फिर उनकी
रजनी मिलकर साथ में रोए।
मत पूछ !
वो भी मरेंगे
सत्य यही है
उदर पूर्ण
जो नित्य सही है
मृत्यु समेटेगी
हमको भी
पेट खाली और
इच्छा वही है।
मत पूछ !
8 टिप्पणियाँ
धनवानो के भरे गोदाम
जवाब देंहटाएंआँगन हमारे सुनसान
धुन बजते चौबारे उनके
हम जाते है,कब्रिस्तान
वाह!!!!
बहुत ही सुन्दर....
किसान का दर्द खूबसूरती से उकेरती आपकी लेखनी
जवाब देंहटाएंवाह्ह्ह....लाज़बाब अर्थ भाव समेटे हुये आपकी रचना।
बेहतरीन..
जवाब देंहटाएंकड़वा सच उजागर किया आपने
सादर
मत पूछ हृदय में चिंगारियाँ,
जवाब देंहटाएंसुलगती हुई फुसों की वो क्यारियां
विध्वंस मचाती क्षुधा पेट की
तिल-तिल बढ़ती दुश्वारियाँ ।
बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना ।
संवेदनशील रचना हेतु बधाई
जवाब देंहटाएंकिसान का सही चित्रण! बधाई!!!
जवाब देंहटाएंप्रिय एकलव्य -- आपकी रचना में किसान का दर्द सुना --कोई तो है जो धरतीपुत्र की व्यथा कथा को बयां कर सकता है -- बहुत आभार और शुभकामना आपको -----
जवाब देंहटाएंआदरणीय आपका आभार
हटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.