नाम - अभिषेक कुमार अम्बर
उपनाम - अम्बर
जन्म तिथि- 07 मार्च 2000
जन्मस्थान - मवाना मेरठ उत्तर प्रदेश
राष्ट्रियता - भारतीय
विद्या - हास्य व्यंग्य , ग़ज़ल , गीत , छंद आदि|
अभिषेक कुमार अम्बर हिंदी साहित्य की एक उभरती हुई प्रतिभा है।इनका जन्म मेरठ के मवाना क़स्बा में 07 मार्च 2000 को हुआ। आपने प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली से प्राप्त की। वर्ष 2014 से निरंतर हिंदी और उर्दू साहित्य की सेवा में समर्पित है। आप हास्य व्यंग्य कविता , गीत ,ग़ज़ल , छंद आदि विद्या में लिखते हैं मुख्यतः श्रृंगार रस के कवि हैं देश के सुप्रसिद्ध कवि एवं कवियत्रियों के साथ काव्यपाठ कर चुके हैं जिनमे पद्मभूषण गोपालदास नीरज, पद्मश्री बेकल उत्साही, लक्ष्मी शंकर बाजपाई, ममता किरण, दीक्षित दनकौरी आदि मुख्य हैं।साहित्यिक मंचों पर सक्रिय भूमिका में हैं
उपनाम - अम्बर
जन्म तिथि- 07 मार्च 2000
जन्मस्थान - मवाना मेरठ उत्तर प्रदेश
राष्ट्रियता - भारतीय
विद्या - हास्य व्यंग्य , ग़ज़ल , गीत , छंद आदि|
अभिषेक कुमार अम्बर हिंदी साहित्य की एक उभरती हुई प्रतिभा है।इनका जन्म मेरठ के मवाना क़स्बा में 07 मार्च 2000 को हुआ। आपने प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली से प्राप्त की। वर्ष 2014 से निरंतर हिंदी और उर्दू साहित्य की सेवा में समर्पित है। आप हास्य व्यंग्य कविता , गीत ,ग़ज़ल , छंद आदि विद्या में लिखते हैं मुख्यतः श्रृंगार रस के कवि हैं देश के सुप्रसिद्ध कवि एवं कवियत्रियों के साथ काव्यपाठ कर चुके हैं जिनमे पद्मभूषण गोपालदास नीरज, पद्मश्री बेकल उत्साही, लक्ष्मी शंकर बाजपाई, ममता किरण, दीक्षित दनकौरी आदि मुख्य हैं।साहित्यिक मंचों पर सक्रिय भूमिका में हैं
एक ख्वाहिश हैं/ अभिषेक कुमार अम्बर
एक ख्वाहिश है बस दिवाने की,
तेरी आँखों में डूब जाने की।
साथ जब तुम निभा नही पाते ,
क्या जरूरत थी दिल लगाने की।
आज जब आस छोड़ दी मैनें,
तुमको फुरसत मिली है आने की।
आज दीदार हो गया उसका,
अब जरुरत नही मदीने की।
तेरी हर चाल समझता हूँ मैं,
तुझको आदत है दिल दुखाने की।
हम तो ख़ानाबदोश हैं लोगों,
हमसे मत पूछिये ठिकाने की।
17.रचना
"शिष्य गुरू छंद"/ अभिषेक कुमार अम्बर
शिष्य कहे गुरु जी से सुनो मेरी बात सर,
लड़कियों के सामने यूँ मुझको न पीटिये।
अकेले में करो बात मारो कितनी भी लात,
फिर चाहे मुझे आप जितना घसीटिये।
अपनी भी इज्ज़त है कुछ तो यहाँ पे सर,
भरे सभागार में यूँ कॉलर न खीचिये।
गुस्सा तो हमें भी आये हम किस पे दिखायें,
जैसे हम पी रहे हैं वैसे आप पीजिये।
2.बातें मेरी सुनकर गुरूजी ने कहा प्यारे,
सामने मेरे न आप बक बक कीजिये।
इतना न बोलिये कि मुझको गुस्सा आ जाये,
बोलने से पहले जरा शब्दों को तोलिये।
बच्चे तो यहां पे बेटा और भी बैठे लेकिन,
जैसे और बैठे वैसे आप भी तो बैठिये।
चल गयी जो रेड इंक यू कैन नॉट थिंक,
क्या क्या होगा साथ तेरे इतना तो सोचिये।
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