HeaderLarge

नवीनतम रचनाएं

6/recent/ticker-posts

स्मृति दीप [कविता] - लावण्या शाह


 लावण्या शाहरचनाकार परिचय:-
बम्बई महानगर मे पली बडी हुई स्वर्गीय पँ. नरेन्द्र शर्मा व श्रीमती सुशीला शर्मा के घर मेरा जन्म १९५० नवम्बर की २२ तारीख को हुआ. जीवन के हर उतार चढाव के साथ कविता, मेरी आराध्या, मेरी मित्र, मेरी हमदर्द रही है.

विश्व-जाल के जरिये, कविता पढना, लिखना और इन से जुडे माध्यमो द्वारा भारत और अमरीका के बीच की भौगोलिक दूरी को कम कर पायी हूँ. स्व-केन्द्रीत आत्मानूभुतियोँ ने हर बार समस्त विश्व को अपना सा पाया है.


पापाजी की लोकप्रिय पुस्तक "प्रवासी के गीत" को मेरी श्राधाँजली देती हुई मेरी प्रथम काव्य पुस्तक "फिर गा उठा प्रवासी" प्रकाशित है.


"स्वराँजलि" पर मेरे रेडियो वार्तालाप स्वर साम्राज्ञी सुष्री लता मँगेशकर पर व पापाजी पर प्रसारित हुए है.



भग्न उर की कामना के दीप,
तुम, कर में लिये,मौन, निमंत्रण, विषम,
किस साध में हो बाँटती?
है प्रज्वलित दीप, उद्दीपित करों पे,
नैन में असुवन झड़ी!
है मौन, ओंठों पर प्रकम्पित,
नाचती, ज्वाला खड़ी!
बहा दो अंतिम निशानी,
जल के अंधेरे पाट पे,
' स्मृतिदीप ' बन कर बहेगी,
यातना, बिछुड़े स्वजन की!
एक दीप गंगा पे बहेगा,
रोयेंगी, आँखें तुम्हारी।
धुप अँधकाररात्रि का तमस।
पुकारता प्यार मेरा तुझे,
मरण के उस पार से!
बहा दो, बहा दो दीप को
जल रही कोमल हथेली!
हा प्रिया! यह रात्रिवेला औ '
सूना नीरवसा नदी तट!
नाचती लौ में धूल मिलेंगी,
प्रीत की बातें हमारी!

० लावण्या के कोटि कोटि सादर वंदन

एक टिप्पणी भेजें

3 टिप्पणियाँ

  1. नमस्ते, आपकी लिखी यह प्रस्तुति गुरूवार 27 जुलाई 2017 को "पाँच लिंकों का आनंद "http://halchalwith5links.blogspot.in के 741 वें अंक में लिंक की गयी है। चर्चा में शामिल होने के लिए अवश्य आइयेगा ,आप सादर आमंत्रित हैं। सधन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर रचना पढ़ने को मिली.

    जवाब देंहटाएं
  3. बिछोह का दर्द मुखर करती रचना ।

    जवाब देंहटाएं

आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.

आइये कारवां बनायें...

~~~ साहित्य शिल्पी का पुस्तकालय निरंतर समृद्ध हो रहा है। इन्हें आप हमारी साईट से सीधे डाउनलोड कर के पढ सकते हैं ~~~~~~~

डाउनलोड करने के लिए चित्र पर क्लिक करें...