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कुंठा [लघुकथा]- शबनम शर्मा

रचनाकाररचनाकार परिचय:-

शबनम शर्मा
अनमोल कुंज, पुलिस चैकी के पीछे, मेन बाजार, माजरा, तह. पांवटा साहिब, जिला सिरमौर, हि.प्र. – 173021 मोब. - 09816838909, 09638569237


रीमा आफिस में नई-नई आई है। देखने में सुन्दर, सुशील और बहुत ही सुलझी हुई। अपने काम से काम और फिर होठों पर सदा मुस्कराहट। यह सब देखते हुए मुझे कुछ तसल्ली सी न होती। वह पूरे स्टाफ में किसी के साथ भी घुल-मिल न पाई। बस सबके साथ औपचारिकता निभाती दिखाई देती। एक दिन ज़ोरों की बारिश हो रही थी कि आज आफिस में काम भी कुछ कम था। मेरे साथ उसका रिश्ता माँ-बेटी का सा है। मैंने कहा, ‘‘रीमा चाय पीते हैं।’’ उसने स्वीकारात्मक ‘हाँ’ भर दी। हम दोनों बैठे थे कि चाय आ गई व मैंने पूछा, ‘‘रीमा शादी नहीं हुई अभी।’’ ‘‘नहीं।’’ उसके बाद वह इधर-उधर ऐसे देखने लगी, जैसे कि कुछ गलत कह दिया हो मैंने। ‘‘फिर कब कर रही है, मुझे मिठाई कब खिलाएगी।’’ ‘‘कभी नहीं।’’ कह कर वह ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी। मुझे लगा, मुझसे कोई बड़ी भूल हो गई है। मैंने उठकर उसे गले से लगाया। वह जी भर कर रोई व ‘‘साॅरी’’ कहकर बैठ गई। उसकी यह दशा देख मैं अन्दर तक हिल गई थी। कुछ सांत्वना भरे शब्द कहकर उसके कंधे पर हाथ रखकर कारण पूछा। उसने बताया वह मात्र 12 बरस की थी जब उसका ब्याह हुआ। वह ब्याह के मायने भी न समझती थी, ऊपर से ससुराल वालों की असीमित उम्मीदें, जिन पर वह ख़री न उतर पाई। उसके साथ सबका व्यवहार बद से बदत्तर हो गया और आखिर मात्र 13 साल 3 महीने की उम्र में उसे मार-पीटकर घर से निकाल दिया। वह पीहर आ गई। यहाँ उसके माता-पिता ने उससे वापस जाने को कहा पर वह न मानी। फिर उसने अपनी पढ़ाई जारी की और बी.काॅम. फिर एम.काॅम. किया। उसने बताया, उस पर किये जुल्म उसे आज भी सोने नहीं देते। वह फिर से रो पड़ी। इस बीच मैंने पूछा कि उसके पति ने दूसरी शादी कर ली। उसने बताया उसके 2 बच्चे भी हैं। पर वह शादी नहीं करेगी क्योंकि वो जानना चाहती है उसमें क्या कमी थी। उन लोगों ने ऐसा क्यों किया? मैंने उसे बिठाया, चुप कराया व समझाया, ‘‘देखो रीमा, कल कभी लौटता नहीं, और हर दिन एक सा होता नहीं। तब तुम मात्र 12-13 वर्ष की अबोध बालिका थी, अब इतनी सुन्दर, सलोनी, प्यारी सी लड़की हो। अगर किसी ने तुम्हारे बड़े होने का इन्तज़ार नहीं किया, तो तुम क्यों इस ज़िन्दगी को बरबाद कर रही हो और हाँ, तुमने कुछ नहीं खोया, उन्होंने एक अच्छी बहु खोई।’’ उसके चेहरे की रंगत बदल गई। मुझे खुशी है इस बात की, कि उसकी कुंठा को निकाल पाई मैं और पता चला कि उसने अब इरादा बदला है। नए जीवन की ओर पग बढ़ाया है।






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