नाम: नीतू सिंह ‘रेणुका’
जन्मतिथि: 30 जून 1984
प्रकाशित रचनाएं: ‘मेरा गगन’ नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2013), ‘समुद्र की रेत’ कथा संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2016)
ई-मेल: n30061984@gmail.com
मैं बहता पानी हूँ
मुझे कैद न करो
सड़ जाउँगी।
साँस घुटती है
खोलो ये पिंजरे
मर जाऊँगी।
रोक लो हया
आँख में अपनी
मैं ठहर जाऊँगी।
छीलती हैं नज़रें
बच के इनसे
किधर जाऊँगी?
न साथ खींचो
मुझसे अपना
बिखर जाऊँगी।
औरत ही हूँ न
इंसान का दर्ज़ा
आख़िर कब पाऊँगी?
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4 टिप्पणियाँ
हर औरत की दिल की आवाज
जवाब देंहटाएंआपकी कविता का मुखड़ा व्याकरण की नज़र से अशुद्ध लगता है। बहता पानी शब्द पुर्लिंग है, इसे स्त्रीलिंग बनाया नहीं जाना चाहिए। वैसे कविता के भाव उत्तम है, आपका प्रयास अच्छा है !बस आप 'सड़ जाउंगी'जुमला प्रयोग में नहीं लाएं।
जवाब देंहटाएंBahut achha prayash hai
जवाब देंहटाएंAuthor.ashuttosh naraina
Book.... The x girl
Nice Poem
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.