नाम: नीतू सिंह ‘रेणुका’
जन्मतिथि: 30 जून 1984
प्रकाशित रचनाएं: ‘मेरा गगन’ नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2013), ‘समुद्र की रेत’ कथा संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2016)
ई-मेल: n30061984@gmail.com
मेरी ज़िन्दगी की मैं ख़ुद मालिक नहीं
क्योंकि मैं औरत हूँ।
बाप, भाई, पति, बेटा ठेकेदार हैं कई
क्योंकि मैं औरत हूँ।
मेरा तो अपना दिमाग़ ही नहीं
क्योंकि मैं औरत हूँ।
मेरे लिए समाज ने बनाए दिमाग़ कई
क्योंकि मैं औरत हूँ।
मुझे बेटी, बहन, बीवी, माँ है बनना
क्योंकि मैं औरत हूँ।
कोई कुछ करे न करे, मुझे सब है करना
क्योंकि मैं औरत हूँ।
दूसरे अपनी हद में रहे न रहें, मुझे रहना है
क्योंकि मैं औरत हूँ।
दूसर कहें, कहते रहें, मुझे कुछ नहीं कहना है
क्योंकि मैं औरत हूँ।
पर्दे, हदें, मर्यादाएं, सीमाएं, हिदायतें, यहीं दी
क्योंकि मैं औरत हूँ।
अपनी आज़ादी के लिए, मेरी क्यों छीन ली,
क्योंकि मैं औरत हूँ?
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