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दरवाज़ा [कविता]- शबनम शर्मा

रचनाकाररचनाकार परिचय:-

शबनम शर्मा
अनमोल कुंज, पुलिस चैकी के पीछे, मेन बाजार, माजरा, तह. पांवटा साहिब, जिला सिरमौर, हि.प्र. – 173021 मोब. - 09816838909, 09638569237


आज कितने दिन हो गये
उन्हें गये।
हर पल इन्तज़ार है किसी
माँ, बहन या बूढ़े माँ-बाप को,
हर आहट, हवा का झोंका,
पत्तों की खड़खड़ाहट उन्हें
सोने नहीं देती।
वह तो कुंडी भी नहीं लगाते,
धीरे से सांकल लगा, सिर्फ
लेट जाते।
नींद कोसों दूर, ज़रा सी
आहट पर कई आवाज़ें,
बिटुवा, भाई, माँ, बहन
आई है सुनाई देती मुझे,
ये असहनीय, अकथनीय दर्द
जिसका कोई सानी नहीं
क्यूँ दिया प्रभु तूने।
चूंकि, जो चले गये, वो तो
नहीं लौटेंगे, लाख पुकारने
पर भी।
सज़ा भोगते ये मासूम
न जी पाएँगे, न मर पाएँगे
ताउम्र।







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