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एकाकी [कविता] - डॉ महेन्द्र भटनागर

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 डा. महेंद्र भटनागर रचनाकार परिचय:-


डा. महेंद्रभटनागर
सर्जना-भवन, 110 बलवन्तनगर, गांधी रोड, ग्वालियर -- 474 002 [म. प्र.]

फ़ोन : 0751-4092908 / मो. 98 934 09793
E-Mail : drmahendra02@gmail.com
drmahendrabh@rediffmail.com





भव्य भवनों से भरे
रौशनी में तैरते
सौन्दर्य के प्रतिबिम्ब
इस नगर में
कौन है परिचित तुम्हारा?
कौन परिचित है?
जिससे सहज बोलें
मिलें जब-तब-----
हृदय के भेद खोलें।
जिसे समझें
आत्मीय-----विश्वसनीय।
निःसंकोच जिसको
लिखें प्रिय-पत्र,
या दूरवाणी से करें सम्पर्क,
जिसके द्वार पर जा
दें अधिकार से दस्तक
पुकारें नाम।
ऐसा कौन है
परिचित तुम्हारा?
अजनबी हैं सब,
अपरिचित हैं,
इतने बड़े-फैले नगर में।
कोई-कहीं
आता नहीं अपना नज़र में।






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