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निंदिया रानी आ जा री व हमको आगे बढ़ना है [कविता]- डॉ.प्रमोद सोनवानी " पुष्प "

रचनाकार परिचय:-

डॉ.प्रमोद सोनवानी " पुष्प "
संपादक- "वनाँचल सृजन"
"श्री फूलेंद्र साहित्य निकेतन"
तमनार/पड़ीगाँव-रायगढ़(छ.ग.)
भारत , पिन-496107
ई-मेल:-Pramodpushp10@gmail. com
" निंदिया रानी आ जा री "
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ओ मेरी निंदिया रानी ,
चुपके से तू आ जा री ।
मीठे सपनों में खो जाऊँ ,
ऐसी नींद सुला जा री ।।1।।

खोकर मैं सपनों में सचमुच ,
नीलगगन में उड़ जाऊँ ।
तारों के संग खेल रचाकर ,
अपना रंग जमा जाऊँ ।।2।।

मेरा ऐसा सपन -सलोना ,
आकर तू सच कर जा री ।
ओ मेरी निंदिया रानी ,
चुपके से तू आ जा री ।।3।।




" हमको आगे बढ़ना है "
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मंजिल को जब है पाना ,
खतरों से क्यों कर डरना ।
बाधाओं से टकराकर ,
हमको है आगे बढ़ना ।।1।।

आँधी हो चाहे तूफान ,
पथ पर हमें न है रुकना ।
हर सूरत में जैसा भी हो ,
हमको है आगे बढ़ना ।।2।।

पढ़-लिखकर हम सबको ,
भारत का है शान बढ़ाना ।
इसकी सेवा में रत रहकर ,
हमको है आगे बढ़ना ।।3।।




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