रचनाकार परिचय:-
पूरा नाम: संजय कुमार नायक
रचना संसार में प्रयुक्त नाम: संजय नायक”शिल्प” तखल्लुस(उपनाम) “शिल्प”,
निवास स्थान: गांव - उदावास, जिला झुंझुनूं, 333001, राजस्थान
मोबाइल- 7413082480
जन्म तिथि- 07-01-1978
शिक्षा: ब.कॉम, पी जी डी सी ए, बीएड,
रुचि के विषय:- लिखना, पढ़ना, गाने सुनना
रचना की विधा- ग़ज़ल, कविता, दोहे , लघु कथा, कहानी, भजन(स्वतंत्र लेखन)
पसन्दीदा रचनाकार: गुलजार, धर्मवीर भारती, पसंदिदा किताब- गुनाहों के देवता(धर्मवीर भारती)
ई-मेल: sanjayshilp01@gmail.com
पूरा नाम: संजय कुमार नायक
रचना संसार में प्रयुक्त नाम: संजय नायक”शिल्प” तखल्लुस(उपनाम) “शिल्प”,
निवास स्थान: गांव - उदावास, जिला झुंझुनूं, 333001, राजस्थान
मोबाइल- 7413082480
जन्म तिथि- 07-01-1978
शिक्षा: ब.कॉम, पी जी डी सी ए, बीएड,
रुचि के विषय:- लिखना, पढ़ना, गाने सुनना
रचना की विधा- ग़ज़ल, कविता, दोहे , लघु कथा, कहानी, भजन(स्वतंत्र लेखन)
पसन्दीदा रचनाकार: गुलजार, धर्मवीर भारती, पसंदिदा किताब- गुनाहों के देवता(धर्मवीर भारती)
ई-मेल: sanjayshilp01@gmail.com
गीत -1 मछली रे रखना बैर मगर से
मछली रे रखना बैर मगर से
घुट कर मर ना जाना डर से
सच की राह बड़ी मुश्किल है
दूर बड़ी अपनी मंजिल है
पथ में कंकड़ शूल पड़ें हैं
चल ही पड़े हो जब मंजिल को
डिगना ना फिर अपनी डगर से
मछली रे रखना बैर मगर से
घुट कर मर ना जाना डर से
गली गली में कातिल आँखे
नारी को हर रोज है ताकें
अपनी आंखे लाल करो तुम
दुर्गा का फिर रूप धरो तुम
निकलो बेटी निडर घर से
मछली रे रखना बैर मगर से
घुट कर मर ना जाना डर से
धारा के विपरीत चल पड़ो
तूफानों के साथ लड़ पड़ो
भंवर बीच मे बहुत मिलेंगे
उन सब को तुम छोड़ के पीछे
होड़ करो हर एक लहर से
मछली रे रखना बैर मगर से
घुट कर मर ना जाना डर से
जीवन अपना अपना होता
कोई हँसकर है जी लेता
कोई है रो रोकर खोता
सूरज चाँद कभी ना टूटें
तारे टूट गिरें अम्बर से
मछली रे रखना बैर मगर से
घुट कर मर ना जाना डर से
-संजय नायक"शिल्प"
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